
कश्यप ऋषि की जो पत्नियां थीं, उनकी उपस्थिति बताती है कि सभी कश्यप बंशी भी नहीं हैं।
पेरू की सभ्यता में मिले अवशेषों ,अन्य से ज्ञात होता है किI मातृ सत्ता महत्वपूर्ण थी। जो कबीले अपना पूर्वज दूसरी धरती लुन्धक से आया मानते हैं ,वह #मत्स्यमानव स्त्री था कि पुरुष ये रहस्य है।
कुछ विद्वानों ने कहा है कि मानव का शिष्य होना क्रांतिकारी घटना है और किसी स्त्री का शिष्य/शिष्या होना तो काफी बड़ी क्रांतिकारी घटना है।
स्त्री समाज व मानवता का आधार है । वही संस्कार बुनती है। वह पहली शिक्षिका है।
वर्तमान जातियां कश्यप की संतानें हैं लेकिन उनकी माताएं अलग अलग हैं।उन माताओं के कारण ही मानव समाज में अनेक महाकुल, कुनबा, क़ुरमा, कुलमा बने।इसलिए एक समाज शास्त्री ने कहा है कि कुर्मी कोई जाति नहीं थी वरन जाति पुंज था।जो आदि कुटुंब संस्कृति, आदि मानव झुंड के संवाहक थे।परिवार व्यवस्था के पोषक थे। यहां विषय है-मातृ सत्ता का। उसका प्रशिक्षित होने का।
वैसे तो स्त्री हो पुरुष दोनों का शिष्य होना महान घटना है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण घटना है किसी स्त्री का शिष्य/शिष्या होना।
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