इस ग्रुप की मंशा?!#अशोकबिन्दु जीवन हम सबके अति करीब होकर भी काफी दूर है।हम बनाबटी, कृत्रिम चीजों में ही उलझे रहते हैं। हमारे लिखने के पीछे भी अनेक रहस्य छिपे हैं।यह जो ग्रुप है उसके पीछे भी अनेक रहस्य है। हम सब में व जगत में स्वतः, निरन्तर, जैविकघड़ी उपस्थित है। हम कहते रहे हैं ऋषियों के श्लोकों में धर्म क्या है?सनातन क्या है?हमारा अंतर ज्ञान क्या है? एक शिक्षित,एक प्रशिक्षक को इस पर नजर की जरूरत है। बचपन से ही हमें अपने अन्तर से मैसेज मिलने शुरू हो जाते हैं लेकिन हम उनको पकड़ नहीं पाते या पकड़ कर उसका ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाते। कुछ वर्ष पहले... इस ग्रुप के निर्माण से पूर्व एक रात क्या होता है?! हमें बाबूजीमहाराज निर्देशित करते हैं कि आप अपना कार्य शुरू कीजिए।हम सब आपके साथ है।हम तब कमलेश डी पटेल #दाजी को देख कर कहते हैं कि आप है तो।तो हमें निर्देश मिलता है कि आप अपना कर्म कीजिए।वे अपना कर्म कर रहे है। इसके बाद हमने इस ग्रुप का निर्माण किया। हम अपने इंटर क्लासेज के दौरान से ही #गुरुग्रन्थसाहिब #विश्वसरकार #लोहियाकीविश्वसंसद #मानवतावादीव्यवहारिकअंडरवर्ल्ड अर्थात सूक्ष्म जगत ,आत्माओं आदि के लिए कार्य करने लगा था। बाबू जी महाराज ने भी एक स्थान पर #चारीजी से कहा है-आत्माओं से काम लेना शुरू कीजिए।आत्माओं के लिए काम करना शुरू कीजिए। इस पर कभी हम आगे विस्तार से कहेंगे। जब हमने श्रीरामचन्द्र मिशन में पहली सिटिंग/प्राण प्रतिष्ठा/ प्राणाहुति प्राप्त की तो हमें उस दिन से ही अपने में पूर्व से ज्यादा अन्तर्दशा बेहतर दिखी। मेडिटेशन की विभिन्न विधियों पर हम प्रयोग पहले (किशोरावस्था)से ही करते आये थे।इस पर विस्तार से हम कहीं पर लिख भी चुके है। पहली सिटिंग के साथ ही अंदर ही अंदर #विश्वसरकारग्रन्थसाहिब व #विश्वसरकार पर विभिन्न आत्माओं, प्रार्थनाओं,सूक्ष्म जगत में कार्य शुरू कर चुका था। #हिमालय #दक्षिणभारत #गुजरात #पंजाब #पश्चिम व अन्यत्र अनेक आत्माएं सूक्ष्म स्तर पर कार्य कर रही हैं।समय आने पर सब उजागर होगा। हम किशोरावस्था से ही महसूस करते रहे हैं कि भूख, प्यास, काम, प्रेम,धर्म, आध्यत्म, मानवता, भाईचारा, विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटम्बकम, सेवा, परोपकार आदि अलग अलग नहीं होता।हम सब का स्तर, हमारी चेतना व समझ का स्तर अलग अलग होता है।ऐसे में इस सब का ध्रुवीकरण होना चाहिए।यह सब दो तरह का हो जाता है-असुर व सुर।हमें अपने अंदर की सुर शक्तियों को अवसर देने के अभ्यास में रहना है।#गुरु नानक ने कहा है कि बड़ी लकीर को छोटा करना है तो उसके सामने एक बड़ी लकीर खींच देना है, उसके लिए जीना है। आध्यत्म व मानवता को लेकर रूहानी आंदोलन को लेकर विश्व भर में अनेक संस्थाएं ,सन्त आत्माएं लगी हुई हैं।यहाँ तक कि साइबेरिया, उत्तरी ध्रुब पर भी अनेक सूक्ष्म शक्तियां कार्य कर रही हैं।हिमालय तो एक चेतना कुम्भ ही बना हुआ है। वर्तमान में इन संस्थाओं के बीच आपको दूरियां लग सकती हैं।उन से जुड़ी सन्त आत्माओं में आपको विकृतियां दिख सकती है।लेकिन विधाता ,कुदरत के दरबार में कुछ और ही तय हो चुका है। #अशोकबिन्दु
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