अंतरिक्ष की अन्य धरती पर एलियन्स हैं।इसके प्रमाण हैं।पुरातत्व विभाग भी इस ओर संकेत करता है। विश्व के कुछ वन्य समाज भी स्पष्ठ करते है,जैसे कि भूमध्य सागरीय क्षेत्र के कबीले अब भी मानते हैं कि हमारे पूर्वज दूसरी धरती से आये थे।जो मत्स्य मानव थे। पुरात्व विभाग उन्हें मातृ देवी भी मानता है।अनेक खण्डहरों में इसके अवशेष मिले हैं।सिंधु सभ्यता, जापान, साइबेरिया आदि में जो मूर्तिया मिली है या गुफाओं आदि में चित्र मिले हैं वे एक ही वेश भूषा व अद्भुत हेलमेट पहने हुए हैं।मध्य अमेरिका में मय/माया सभ्यता, पेरू सभ्यता में ऐसे अवशेष मिले है। अब तो कुछ पुरात्व विद यहां तक कहने लगे हैं कि माया सभ्यता की जड़ें दक्षिण भारत में मायासुर व उसके लिखित एक पुस्तक से सम्वन्धित मिलती है।इस पुस्तक में इमारतों के निर्माण की जानकारिया मिलती है। भारतीय पुराणों में यानों के प्रकरण दक्षिण भारत से ही सम्वन्धित है। हम एक लेख में लिख चुके है, हर क्षेत्र स्थूल इतिहास में बदलाव होते रहते हैं लेकिन सूक्ष्म जगत में इतने जल्दी बदलाव नहीं होते।दक्षिण गोलार्ध को हम एक ही सूक्ष्म इतिहास से आदि इतिहास से जोड़ते हैं।दक्षिण अमेरिका हो या दक्षिण अफ्रीका या दक्षिण भारत ,जावा सुमात्रा आदि का आदि इतिहास की जड़ एक ही है।दक्षिण भारत के पठार काफी पुराने है।एक स्थान पर तो डायनासोर के भी अबशेष मिले हैं।हम तो दक्षिण पठार को हिमालय से भी पुराना मानते है।#प्रवीणमोहन पुरातत्वविद जिनका काम सिर्फ विश्व के प्राचीन खण्डहरों आदि पर शोध करना ही है , का कहना है कि दक्षिण पठार के आदिबासी का एलयन्स से सम्बन्ध थे। दक्षिण पठार का काफी महत्व रहा है ।गुजरात से लेकर श्री लंका तक अब भी ऐसे आदिबासी है जो अपना पूर्वज हनुमान व मतंग ऋषि को मानते हैं।पवन देव अर्थात हवा तत्व की स्थितियों में भी यौगिक प्रशिक्षण व सूक्ष्म व चेतनात्मक सम्बन्ध रखने वाले योगी व ऋषि आदि दक्षिण से ही सम्बन्ध रखते हैं। भविष्य में भी दक्षिण पठार का बड़ा महत्व होगा।वहाँ काम जारी है।हर युग में जारी रहा।किसी को दिखाई न दे, यह अलग बात। आधुनिक विज्ञान के अनुसार हिन्द महाद्वीप एक केंद्र है।इसरो, चांदी पुर प्रक्षेपास्त्र, उच्च तकनीकी का गढ़ बंगलौर आदि वहीं से आते है। कुछ सन्तों का तो कहना है कि आने वाले प्रलय में दक्षिण का पठार एक टापू के रूप में बदल जायेगा।अनेक समुद्री तट व शहर डूब जाएंगे।उत्तर भारत व दिल्ली,दिल्ली से पश्चिम की स्थिति बड़ी भयावह हो जाएगी।बिहार, बंगाल जल प्रलय से पहले से ही परेशान रहता है। वर्तमान सृष्टि में अब भी सूक्ष्म अभियानों का उत्तरी ध्रुब है हिमालय व दक्षिणी ध्रुब है दक्षिण का पठार। श्रीरामचन्द्र मिशन शाहजहांपुर का वैश्विक केंद्र कान्हा शांति वनम बन चुका है।जहां विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन हाल भी बन चुका है।जहां बाबा रामदेव ने कहा कि भबिष्य में जो बदलाव की आध्यत्मिक बयार बहेगी यहीं से बहेगी।जो दुनिया के हर देश में खामोशी से कार्य कर रहा है। #अशोकबिन्दु #भविष्यकथांश www.akvashokbindu.blogspot.com
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