प्रोपलीन आक्साइड गैस कृत्रिम वर्षा कराने में सहायक होती है।
एक वैज्ञानिक रिसर्च से स्पष्ट होता है कि गाय के घी से यज्ञ करने से जो गैस प्राप्त होती है, वह गैस प्रोपलीन आक्साइड गैस ही है।
भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में कहा गया है कि यज्ञ से वर्षा होती है।
जिसके लिए गाय का घी अति महत्वपूर्ण है।
रूसी वैज्ञानिक सिरोविच ने कहा है कि आण्विक विकरण से रक्षा पर अपने प्रयोगों के दौरान पाया कि गाय के घी की अग्नि में आहुति देने पर उसकी जो सुवास निकलती है वह जहां जहां तक फैलती है उससे सारा वातावरण आण्विक विकरण से मुक्त हो जाता है।
मानव जीवन में गाय का बड़ा महत्व है।
कहते है कि गाय के दूध में ही S T R O N T I O N तत्व है जो अणु विकरण का प्रतिरोधक है। गाय का दूध समस्त रोगों का शमन करता है।
गाय का फिल्टर किया गया मूत्र काफी प्रतिरोधक क्षमता धारक है।
जिन्हें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाने के कारण बसा आदि का इस्तेमाल वर्जित है वह भी के लिए गाय का घी नुकसान दायक नहीं है।
गाय के मूत्र में विटामिन बी तथा कार्बोलिक एसिड होता है जो रोगाणुओं का नाश करता है।
गाय का दूध, घी, मूत्र आदि राम बाण है। सभी बीमारियों में अति लाभदायक है।
गाय के घी से होने वाले यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है और प्राप्त गैस से वर्षा होने में सहायता मिलती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें