शुक्रवार, 13 सितंबर 2024
सर्वव्याप्त प्राण शक्ति में लय होने को वो ही सिर्फ सहयोगी!!
विश्वदानीं सुमनस: स्याम पश्येम नु सूर्यमुच्चरन्तम् ।
तथा करत् वसुपतिर्वसूनां देवां ओहान: अवसा आगमिष्ठ: ।।
अर्थात : (विश्वदानीं सुमनस: स्याम) सदा ही हम उत्तम विचार करने वाले हों।
(सूर्य उच्चरन्त पश्येम नु ) आकाश में ऊपर संचार करने वाले सूर्य को हम देखें ।
(वसूनाम् वसुपति: तथा करत् ) घनों का घनपति देव वैसा प्रयत्न करें कि जिससे
(देवान् ओहान: अवसा आगमिश्ठ: ) ज्ञानियों को बुलाने वाला देव आपनी रक्षण की शक्ति से हमारे पास आ जाए।
(ऋग्वेद : 6.52.5)
👍अशोकबिन्दु के विचार !👌
जो हमारे अंदर बाहर, सर्वत्र अंतर्निहित है हम सदा उसकेउत्तम विचार में रहें।उसी से हम स्वस्थ हैं देह से अर्थात स्व में स्थित हैं अर्थात स्व में स्थित दशा के अहसास में हम सदा रहें जो ही वास्तव में जीवन है।उसके बिना ये देह तो देहान्त है।
पंच तत्वों में एक है आकाश तत्व जिसमें हमारी आत्मा रूपी सूरज प्रकाशित है जैसे कि इस आकाश में सूरज को हम देखें वैसे ही हम अपने अंदर के आकाश तत्व में सन्देशों व अहसास रूपी ज्ञान व आत्मा रूपी सूरज को देखें।
सर्वव्याप्त सघन चेतना जैसे कि सागर की गतिशीलता और उस गतिशीलता में हमसे आगे जो स्थिति को समझने व नियंत्रित करने वाले हम पर वैसा प्रयत्न करें जो ज्ञानियों, ज्ञान प्रेमियों को बुलाने वाले ,उनसे प्रेम करने वाले अपने रक्षण शक्ति, प्राण शक्ति या प्राणाहुति से हमारे समीप आयें या वे हमारे समीप रहें। चेतना के सागर में जैसे उच्च लहरें छोटी छोटी लहरों ,बूंदों को अपने में समेट लें। एक शिक्षक, ऋषि, वसु,ईश्वर ज्ञान प्रेमी या अपने प्रेमी
पर ही विशेष कृपा बरसाता है।
सोमवार, 1 जुलाई 2024
अशोकबिन्दु : दैट इज ..?!
01 जुलाई 2024 ई0!!👌
सोमवार !!👌
अशोक कुमार वर्मा ' बिंदु ' की एक और पुस्तक का लोकार्पण ♥️
कटरा /बीसलपुर /पीलीभीत /शाहजह
*Watch Breaking News on Shuru App*
https://shuru.page.link/xZRBrATki6aSwrQh7
अमेजान पर हम !!
रुहेलखंड क्षेत्र से एक आगाज !!
अशोक कुमार वर्मा ' बिंदु ' की लेखनी व आवाज !!
योग : यानि कि …!? / Yog : yaani ki ? https://amzn.in/d/0doTf1ZG
अशोकबिन्दु :: दैट इज..?! https://amzn.in/d/6vkrHz9
ऐतिहासिक सूक्ष्मवाद !! एक भविष्य कथांश
https://amzn.eu/d/axllwIV
बुजुर्ग / Bujurg https://amzn.in/d/6zwqn7N
अग्निनाश ! / Aganinaash
https://amzn.eu/d/3yYPtAZ
जाम - ए -हुलास नगरा
https://amzn.eu/d/aqXJx2G
शिक्षा / Shiksha
https://amzn.eu/d/7LuaZHl
लव जेहाद / Love Jehaad
https://amzn.eu/d/02YuFmH
स्त्रैण आँसुओं के सागर से!
https://amzn.eu/d/d9HgS9I
❤️❤️❤️____________________________❤️❤️❤️
www.ashokbindu.blogspot.com
www.akvashokbindu.blogspot.com
रविवार, 23 जून 2024
सबसे बड़ी समाज सेवा : शांति!!
विश्व शांति
इसलिए यह अति आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर शांति और संतुष्टि की स्थिति विकसित करने के साधनों का पता लगाया जाए। इस प्रकार, विश्व शांति की प्राप्ति के लिए हमें यह करना है कि, व्यक्तिगत रूप से लोगों की मानसिक प्रवृत्तियों को बदला जाए। इसका मतलब है कि दिमाग का उचित नियमन ताकि इसे संयम की स्थिति में पेश किया जा सके। दुनिया में शांति लाने का यही एकमात्र तरीका है। इसलिए हम सभी को अपने भीतर मन की शांति विकसित करना आवश्यक है। लेकिन यह विशेष रूप से आध्यात्मिकता का दायरा है, इस उद्देश्य के लिए हम सबको आवश्यक रूप से आध्यात्मिक साधनों का सहारा लेना चाहिए।
विश्व शांति,
पूज्य बाबू जी🌿💐
शुक्रवार, 15 मार्च 2024
सपने साकार होने की ओर!!
14-17 मार्च 2024 : विश्व आध्यत्म सम्मेलन 2024 ई0!
किशोरावस्था से मेरा ख्वाब था सभी सभी रूहानी आंदोलनों को एक मंच पर देखना। इसके साथ ही विश्व सरकार, विश्व सरकार ग्रन्थ साहिब की स्थापना।
जब बसुधैब कुटुम्बकम तो किससे नफरत किससे मोहब्बत!?
गीता में भी श्रीकृष्ण कहते हैं कि दुनिया के धर्म छोंड़ मेरी शरण में आ। अर्थात जीवंत महापुरुष को स्वीकार।
अतीत में जो महापुरुष हुए, अवतार हुए उन्हें भी उस वक्त के महापुरुषों को स्वीकार करना पड़ा।
मनुष्य प्रकृति अभियान का अंग है। प्रकृति अभियान में ही सहयोगी होना होगा।
प्रकृति अभियान, मानवता ,रूहानी आंदोलन का कोई मजहब नहीं कोई जाति नहीं, कोई देश नहीं वरन बसुधैब कुटुम्बकम।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)