मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

मजहबी - जातिवादी हवा के बीचविश्व बंधुत्व, बसुधैवकुटुम्बकम ,विविधता में एकता आदि ?!

 विविधता में एकता महसूस करने वाले कितने हैं?

सब के सब अपनी जाति, अपने मजहब पर गर्व करते फिर रहे हैं।

उनको कितना फॉलो किया जा रहा है कि पहले हम इंसान है बाद में कुछ और?!


सन 2041ई0!!

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मुसलमान+यादव+जाटव+आदिबासी+खानाबदोश+पिछड़ा+जनजाति+दलित =??



सवर्ण सेना जिंदाबाद!!जिंदाबाद!जिंदाबाद!!


ब्राह्मण सेना जिंदाबाद!!जिंदाबाद!!!


वैश्य समाज !!!जिंदाबाद!! जिंदाबाद!!



जय परसुराम !!जय जय परसु राम!!


गर्व से कहो हम हम ब्राह्मण हैं!!


गर्व से कहो हम ठाकुर हैं!!



साथियों! जो दलितों, आदिबासियों आदि के लिए अवसर न दे सके उस तन्त्र को उखाड़ फेंको।



फ्रांस की क्रांति में तृतीय एस्टेट अर्थात जन साधरण के प्रतिनिधियों  की सभा ने मिराब्यो  आदि के नेतृत्व में खुद को राष्ट्रीय सभा घोषित कर सिस्टम में कमियों के खिलाफ मुहिम छेन्ड़ दी थी। अब फिर ऐसा करने की आवश्यकता है। जो सिस्टम हमें अवसर न दे सके वह सिस्टम उखाड़ फेंको। जनतन्त्र में जनता शासक होना चाहिए।जन तन्त्र का मतलब जातीय समीकरण नहीं है।जनता के हित में कार्य करने वालों का समर्थन है।किसी जाति मजहब को बढ़ावा देना नहीं है।


जैसे फ्रांस की क्रांति के समय  शासक, पूंजीपति, सामंतवादी, सरकारी कर्मचारी ,पुरोहित आदि मौज में थे लेकिन 94 प्रतिशत जनता परेशान, उस पर टैक्स पर टैक्स!?आज कल भी क्या हो रहा है? मंहगी शिक्षा, मंहगा इलाज, मंहगा न्याय, समाज व राजनीति में ,धर्म।के।क्षेत्र में कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि हम से ऊपर कोई आगे बढे। ऐसे सिस्टम को उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है।

सबका साथ सबका विकास सबकी भागीदारी!!

कम आबादी वालों को भी अवसर की जरूरत!!



हर सीट पर जो कम आबादी के लोग हैं, समाज के लिए बेहतर सोंच रखते है-जनतंत्र का मतलब यह नहीं है कि उनको समर्थन न मिले?और उनको समर्थन मिलते हुए  भी उनको महत्व न मिल सके तो ऐसे तन्त्र को उखाड़ फेंको।


जय हो  सम्विधान प्रस्तावना!!जय हो भारतीयता!!