शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

जय दक्षेस!!

 दक्षिण एशियाई देशों को गिले सीकबे भुला कर एक जुट होने की जरूरत है।


चीन व पाकिस्तान को शांति सुकून से काम चलाने की जरूरत है।


हम तो कहेंगे कि भविष्य में अर्थात तृतीय विश्व युद्ध के अंत में भारत  , चीन व रूस एक साथ होंगे लेकिन तब तक काफी बर्बादी हो  चुकी होगी।  



यदि हम सब मानवता का भला चाहते हैं तो निजी स्वार्थों का त्याग करना होगा

किस किस से प्यार करूँ?किस किस से नफरत?..#अशोकबिन्दु

 जब बसुधैब कुटुम्बकम, विश्व बंधुत्व, सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर तो किससे नफरत?किससे मोहब्बत?


न काहू से दोस्ती न काहू से बैर!!



दुनिया व ब्रह्मण्ड में वह प्राणी खतरनाक है जो इंसान माना जाता है लेकिन इंसानियत नहीं रखता।


हमारे आस पास, नगर गांव में, प्रदेश व विश्व में कुछ लोग ऐसे हैं जो मानव समाज के लिए खतरा हैं। वे अपने मजहब व जाति के लिए मानवता व रूहानी आंदोलन को ताख पर रख देते हैं। उनमें ऐसा कोई नेता व उनका कोई देश(उनकी आबादी वाला क्षेत्र) है जिसमें इंसानियत व रूहानी आंदोलन फलता फूलता है?गैर मजहबी अकेला इंसान मौज से रह रहा हो?जो सबके भलाई के लिए सोचता हो?



ऐसे में दुनिया की निगाहें किधर होंगी?😢


हम सब को समझना चाहिए कि हमारा हाड़ मास, दिल दिमाग, आत्मा, हवा, पानी आदि का कोई न मजहब है न कोई जाति।

भारत ही एक ऐसा देश है जो सबके हित की बात सोंच सकता है।विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम, विश्व कल्याण की बात सोंच सकता है।दुनिया में अधिकतर देश अपने हित में किसी को भी तोड़ सकते हैं।

लोग अधर्म करते करते इतना गिर जाते हैं कि वे किसी को अपना नहीं मानते न ही सबका हित साधना चाहते हैं।भारत ही ऐसा देश है जो सबका हित साधते हुए अपना हित साधना चाहता है। 


मुस्लिम देश हो यूरोपीय देश अधिकांश ऐसे हैं जो विश्व बंधुत्व, विश्व कल्याण की बात नहीं सोंच सकते ।न ही उनका कोई ऐसा नेता है जो सबका कल्याण की बात सोंचे। अब वक्त आ गया है कि एशिया के देश एक जुट हों।व7शेष कर पाकिस्तान, भारत, चीन, बांग्लादेश ,श्री लंका आदि एक मंच पर आये।यदि वे अपने अपने जनता व क्षेत्र का भला चाहते हैं। #अशोकबिन्दु


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