शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

नई पीढ़ी को समीपता व वातवरण!मानसिक समीपता किधर??

समीपता!!
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आज कल की समीपता की प्रवृति मानवता, भाई चारा, सद्भावना, विश्व बन्धुत्व,संविधान व्यवस्था आदि में कोई योगदान नहीं कर पा रही है।परिवार,धर्म, जाति ,सामजिकता आदि संस्थाएं इसमें कोई योगदान नहीं कर रही हैं। मालिक को धन्यवाद है,हमें बचपन से ही उन सन्तों, नानक, कबीर, बुद्ध,महऋषि दयानन्द, राजा राम मोहन राय, ज्योतिबा फुले,अम्बेडकर आदि के विचारों का सानिध्य मिला जो जातिवाद, लिंगभेद आदि आधारित व्यवस्था के विरोध में साहस दिया। सामजिकता, परिवार, संस्थाओं आदि के नाम पर तो अनेक कार्य ऐसे हैं जो मानवता में कोई योगदान नहीं रखते। वर्तमान के जीवित गुरुओं का बड़ा योगदान रहता है।पहले जयगुरुदेव मिशन से सन्त तुलसी दास का अब कमलेश डी पटेल दाजी का सानिध्य हमारी मानवता को विकसित कर रहा है। कमलेश डी पटेल दाजी आज उस संस्था का नेतृत्व कर रहे है, जो हजरत क़िब्ला मौलबी फ़ज़्ल अहमद खां साहब रायपुरी के शिष्य श्रीरामचंद्र फतेहगढ़ की याद में शाहजहाँपुर,उप्र की धरती पर सन1945 में श्रीरामचंद्र मिशन के नाम से स्थापित की गयी। जो संयुक्त राष्ट्र संघ को भी प्रशंसनीय है।हार्टफुलनेस ,माइंडफुलनेस, ब्राइट माइंड आदि के नाम से  बच्चों के बीच भी अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।सन2002ई0 में यूनेस्को ,सँयुक्त राष्ट्र संघ मूल्य आधारित शिक्षा की वकालत कर चुका है।जिसको आधार बना कर हम अनेक देशों व देश के अनेक राज्यों में कार्यक्रम प्रारम्भ हो चुके हैं।भविष्य पुनः आश्रम पद्धति का होगा।कमलेश डी पटेल दाजी कहते है,नई पीढ़ी को वातवरण चाहिए, आचरण चाहिए।सिर्फ उपदेशों आदेशों से मानवता विकसित होने वाली नहीं। हार्टफुलनेस शिक्षा कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है।आधुनिक विकास विकास नहीं है।

दुनिया का सबसे बड़ा खामोश रूहानी आंदोलन

खामोश रूहानी आंदोलन!!
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28-29 जनवरी2020ई0!देश में योग नाम को बच्चे बच्चे तक पहुचने वाले स्वामी रामदेव बाबा ने कान्हा शांति वनम, हैदराबाद में विश्व के सबसे बडे मेडिटेशन हाल में श्रीरामचंद्र मिशन के 75वें वर्ष के अवसर पर कहा-विश्व की सबसे बड़ी शांत आध्यत्मिक क्रांति श्रीरामचंद्र मिशन व हार्टफुलनेस के माध्यम से हो रही है। जो शांत प्रचार के माध्यम से हो रही है।
इस अबसर पर हैदराबाद में स्वामी रामदेव के नाम से एक सड़क का निर्माण भी करवाया जा रहा है। समाज को जिंदा रहते व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए।अच्छे प्रयत्नों में मदद करनी चाहिए। अन्यथा व्यक्ति व समाज की धार्मिकता, भक्ति व आध्यात्मिकता बेईमानी है।

              जिन श्रीरामचंद्र फतेहगढ़ की याद में श्रीरामचंद्र  मिशन क़ी उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में 1945ई0 को स्थापना की गयी उन्हें मात्र 10 माह की साधना के बाद हजरत क़िब्ला मौलबी फ़ज़्ल अहमद खां साहब रायपुरी ने अपने पूर्ण अधिकार देकर गुरु पदवी पर बैठा दिया। जिनका जन्म वसन्तपंचमी ,02फरबरी 1873ई0 को हुआ।

#heartfulmesskatra
#ashokbindu
#कबीरापुण्यसदन

बुधवार, 29 जनवरी 2020

विश्व संविधान विश्व सरकार!!!

विश्व संविधान विश्व सरकार!!
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हमारी शिक्षा की सन्तों के बीच  से शुरू हुई। आज की तारीख में एक मजहब व उसको मानने वालों को दुनिया में सन्देह की  दृष्टि से देखते हैं। वे सेक्युलर को लेकर तब तक चलते हैं,जब तक 50 व 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो जाते। उनमें हमें ऐसी प्रेरणा नहीं मिली कि किसी का मजहब कोई हो, किसी का रीति रिवाज ,कर्मकांड,धर्म स्थल आदि चाहें कोई हो हम किसी पर अपना कर्म कांड,अपनी मजहबी शिक्षा उस पर थोपेंगे नहीं। वे आज दुनियां के लिए खतरनाक माने जाते हैं।हमारी नजर में दुनिया में वह हर प्राणी खतरनाक है जो इंसान माना जाता है लेकिन उसमें इंसानियत नहीं है।वह सामने वाले को अपने मजहबी व जातीय जुनून, नजरिया में देखता है। न कि रूहानियत, इंसानियत, कुदरती व्यवस्था, संवैधानिक व्यवस्था, सेक्युलर भाव आदि के आधार पर।

हमें प्रेरणा मिली-वसुधैब कुटुम्बकम की,विश्व बंधुत्व की,सागर मे कुम्भ कुम्भ में सागर की,जियो और जीने देने की.......आदि आदि। हमारी अहिँसा रही है-मन से कोई भेद न रखना। सत्य को खोज में, संश्लेषण में लगे रहना, मालिक की याद में रहना। हिन्द प्रायद्वीप के देवी देवता एक हाथ में हथियार जरूर रखते है लेकिन दूसरे मानवता ले कल्याण के लिए।ये सामाजिक व राष्ट्र व्यवस्था की आवश्यकता है। हमारा मन नियति हर वक्त मोहम्मद साहब की उस घटना से प्रेरणा पाती है,जो एक महिला के द्वारा कूड़ा फेंकने के सम्बन्ध में है। हम उस बुद्धत्व का भी सम्मान करते हैं जो अंगुलिमन कि गलियों में जाने से परहेज नहीं करता।।

हमें कभी न कभी समझना ही होगा कि हम किसी के पूर्वनियोजित हैं।हम अनन्त यात्रा के हिस्सा हैं। हमें जाति मजहब से ऊपर उत्थान कर निरन्तर, स्वतः, निजत्व(आत्मा),  आदि से जुड़ कर विश्व सरकार विश्व संविधान का साक्षी होना चाहिए।जिसके हम हिस्सा हैं।

अंदर बाहर एक::सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर!!

हमारे ,जगत व ब्रह्मांड के अंदर'कुछ'है ,जो निरन्तर, स्वतः, स्वाभाविक है!वही हमें असल से जोड़ता है।
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कटरा ,बलवंत सिंह इंटर कॉलेज! कोई कहता है हमारे यहां यह होता है हम यही कर सकते हैं। कोई कहता है हम कोई मुसलमान थोड़ी ,क्यों हमेशा करें ।कोई कहता है हम कोई हिंदू थोड़ी हैं जो हम ऐसा करें ।तुम्हारे यहां ऐसा होता होगा वैसा होता होगा लेकिन हमारे यहां तो ऐसा नहीं होता ।हम ऐसा नहीं कर सकते। हम तो ऐसा ही कर सकते हैं, आदि आदि शब्द हमें सुनने को मिलते हैं। इससे हटकर हम असल की ओर जाना नहीं चाहते। विकास क्या है? विकास है भविष्य यात्रा ।विकास का मतलब यह नहीं है हम अभी तक जो करते आए हैं हमारे यहां अभी तक जो होता आया है वही करते रहे ।स्तर दर स्तर आगे और भी कुछ है। जिस स्तर पर हम जी रहे हैं उस स्तर से ऊपर भी अन्य स्तर हैं ।हर स्तर पर चाहे हमारा स्थूल हो ,चाहे हमारा सूक्ष्म, अनेक स्तर हैं। उन स्तरों से गुजरते हुए ऊपर जाना ही विकास है भविष्य यात्रा है। जो बदलाव को स्वीकार नहीं करता या अनंत यात्रा की ओर जाते हुए साक्षी नहीं हो सकता। कोई विचार कोई भावना यदि हम संस्कृत भाषा में व्यक्त करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि हम सनातनी हो गए ??
यदि उसी विचार भाव को यदि दूसरी भाषा में उर्दू में फारसी में व्यक्त करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम सनातनी नहीं है?? हम उससे नहीं जुड़ रहे हैं जो सर्व व्याप्त है ,सनातन है, निरंतर है, स्वतः है ,स्वचालित है आदि आदि।
 हमें आत्मसाक्षात्कार करने की जरूरत है। हम को कुदरत के स्तर पर पूरी कायनात के स्तर पर विचार करने की जरूरत है ।हम कौन हैं? हार्टफुलनेस कार्यक्रम  में इस पर चर्चा हुई व इसके अनुभव के लिए प्रयोग हुए कि हमारे अंदर जो दिव्यता जो प्रकाश है,उसके लिए हम वक्त नहीं देते । जब हमारे खास के शरीर से या हमारे शरीर से वह निकल जाता है तो ये शरीर लाश बन जाता है!तब वक्त निकल आता है।जब तक वह अंदर है, उसके लिए वक्त नहीं।आधा घण्टा एक घण्टा बैठ उसके लिए वक्त नहीं। हमारा जो नजरिया, भाव, विचार होता ,जिसके लिए हम समय देते है उसी आधार पर हमारा भविष्य तय होता है।

मंगलवार, 28 जनवरी 2020

किसी ने कहा है ठीक कहा है,वर्तमान समस्याओं का हल है-मानवता,अध्यात्म।
हमें अपने को बदलने के लिए  तैयार करना होगा।अपनी चेतना के स्तर को उच्च करना होगा।विश्वबंधुत्व,विश्व शान्ति अब हमसे है,हम सबसे है।हम सभी को ईमानदारी से रात्रि नौ बजे नियमित इस हेतु साधना में बैठने की जरूरत है। हमें अपने नजरिया को बदलने की जरूरत है।संसार में जो भी स्त्री पुरुष हैं,उनमें एक ही मालिक की रोशनी है।हम सब भाई बहिन हैं।



हमें जाति मजहब से ऊपर उठ कर सिर्फ मालिक व मालिक की बनाई दुनिया में मालिक को देखना है।अपने अंदर मालिक को देखना ध्यान है,सभी के अंदर मालिक को देखना मोहब्बत है।

हम हर वक्त ये ध्यान रखें-परम्+आत्मा=परमात्मा!! हमें अपने उन ऋषियों नबियों पर नाज है जिन्होंने वह दशा पायी जो वेद है या वेद के समकक्ष है।
कुरआन की अल फातिहा का विषय केंद्रीय है।वही हमारे मिशन का हेतु है।वही कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण सन्देश है।शक्लें आत्मा से नीचे हैं,वे चाहें स्थूल हों या सूक्ष्म। संसार में प्रशंसा सिर्फ मालिक के लिए ही है।मालिक व हमारे बीच एक सीधा रास्ता है।

रविवार, 26 जनवरी 2020

रुहेलखण्ड राज्य की प्रासंगिकता!!

रुहेलखण्ड राज्य की अपनी खास विशेषताएं व अहमियत है।

सरकारों के लिए इस हेतु सजग होने की जरूरत है।।
इसके अंतर्गत पुवायां जिला की मांग, फर्रुखाबाद से मैलानी रेल मार्ग की मांग ,बरेली से मैलानी बीसलपुर व बंडा होते हुए रेलवे मार्ग आदि को मांग अति पुरानी है।।


रुहेलखण्ड क्षेत्र स्वयं एक सर्वसम्पन्न प्राकृतिक क्षेत्र है। बरेली, बदायूं, शाहजहाँपुर,पुवायां पलिया को मिला कर एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना होना चाहिए। पलिया व पुवायां को मिला कर अलग प्रथक जिला बनना चाहिए।