शनिवार, 28 अगस्त 2021

विश्व राज्य व विश्व नागरिकता के बीच भारतीयता::अशोकबिन्दु

 पश्चिम में सुकरात हुए, उसके बाद से अरस्तु तक वहां खूब तरक्की हुई।विश्व राज्य, विश्व नागरिकता की भी बात हुई।उनकी निगाह सम्मान जनक ढंग से भारत की ओर भी थी।लेकिन उसे वे व्यवहारिक रूप नहीं दे पाए।हालांकि वहां इतना हुआ कि राजा फिलिप के बाद जब सत्ता पर सिकन्दर/अलक्षेन्द्र काबिज हुआ तो उसने विश्व राज्य व एक विश्व नागरिकता के सिद्धांत पर कार्य करना चाहा।#अरस्तु को ठीक ढंग से फॉलो न कर सका।उसने अरस्तु के रहते ही अरस्तु की मूर्तियां तक खड़ी कर दिन लेकिन अरस्तु के विचारों को वह अपने भाव व नजरिया में न बदल सका।आखिर कैसे बदलता?उसके लिए समर्पण व शरणागति भी चाहिए। हां, इतना हुआ कि सिकन्दर के रहते अब अनेक जाति मजहबी लोगो को सम्मान मिलने लगा।


जब सिकन्दर ने विश्व विजेता का सपना देखा तो अरस्तु ने उसकी शुरुआत भारत से करने को कही। लेकिन सिकन्दर ने ऐसा नहीं किया।भारत में चन्द्र गुप्त चाणक्य के सहयोग से असंतुष्टों को इकट्ठा करने में लगे थे।अरस्तु की मंशा कुछ और थी।पूर्व और पश्चिमी ध्रुब मिल जाते तो विश्व में स्वतः विश्व राज्य व एक विश्व नागरिकता का ख्वाब पूरा हो जाता।


अरस्तु का अनसुना करना यूरोप को मुश्किल में ला खड़ा किया।अरस्तु का अंत बड़ा बुरा हुआ, इधर सिकन्दर का अंत भी।विश्व मित्र आत्मा के नजदीक आकर भी दोनों धड़ाम से काफी तेजी से नीचे आ गिरे।


 सन 300-400ई0 तक काफी कुछ ठीक रहा। हरियाना सुरसनों, अग्रवाल क्षत्रियो ,अयोधयों की धमक रोम सम्राज्य तक हो गयी थी।दुनिया में भारत की चमक रही।हरियाण का पुत्र उदय नाथ रोम का उप सम्राट बना। उसके बाद उसकी पत्नी जनुवा ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित किया।


इस्लाम के उदय के बाद पूर्व विश्व में स्थितियां बदली।दुनिया भर में भारतीयों प्रतीकों को नष्ट किया गया।दुनिया भर में अब भी जमीन के अंदर भारतीयों के अवशेष जिंदा है। 14वी 15वी सदी से यूरोप में फिर पुनर्जागरण की ओर चेतना बड़ी।आगे चल अनेक आविष्कार हुए।इसके पीछे भी अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय ज्ञान ही महत्वपूर्ण था। यूरोप के देश फिर उठ खड़े हुए।उनकी विदेशनीति वैश्विक हो उठी लेकिन  विश्व बंधुत्व की भावना के साथ नहीं।सभी जाति मजहब की स्वतंत्रता के साथ नहीं। हालांकि उन्होंने जातिवाद, छुआ छूत की दीवारें ढहने में मदद की।1945 के बाद उनका उपनिवेश वाद आर्थिक हो गया।पहले भी वे व्यापार के उद्देश्य से ही दुनिया में दूरदराज में फैले।जिनको हम देखना तक पसन्द नहीं करते थे, उनको उन्होंने गले लगाया लेकिन विश्व बंधुत्व की भावना से नहीं।


कुदरत किसका साथ देती है?वेद स्पष्ट करते है।सत्य क्यों न परेशान हो लेकिन जीतता वही है।गुरु नानक, सन्त कबीर,सन्त श्री रामचन्द फतेह गढ़ आदि के जन्म के पीछे अनेक रहस्य है।कभी फुर्सत में बताएंगे। अनन्त द्वार पर दस्तक अनन्त प्रबुद्धता की ओर अग्रसर हो जाती है। विवेकानंद के गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस कह गए थे कि भारत के लिए 2011 से 2025 तक का समय बहुत महत्वपूर्ण है।यदि इस समय भारत उठ गया तो फिर पुनः1000 वर्षों तक सतयुग। लेकिन इस बीच भारत व भारत की जनता को काफी कुछ झेलना होगा।


अब समय आने वाला है।कुदरत भारत के पक्ष में हालात पैदा करेगी।भारत में महान व्यक्तिर्यों की कमी नहीं है।


रूस ,अमेरिका ,ब्रिटेन आदि की विदेश नीति क्यों न वैश्विक रही हो लेकिन विश्व बन्धुत्व भाव की नहीं।अब सभी यूरोपीय देश भारत की ओर देख रहे हैं।हालात ऐसे होंगे भारत स्वयं संयुक्त राष्ट्र हो जाएगा।उसके पास सत्ता के केन्द्रीयकरण व विकेन्द्रीयकरण की निपुणता बखूबी है।हमारे लेखों को जो पड़ते रहें होंगे, उन्हें बात को समझने में देरी नहीं लगेगी।आखिर सृष्टि के शुरुआत व अंत में कुदरत किसको भूमिका देती है?!#अशोकबिन्दु

विश्व हिंदी अध्यात्म साझा प्रचारक! 

#भारतकादीपक::मोदी


जातिवादियों, मजहबीयों,लोभी लालचियों !!तुम कब तक अपनीं मनमानी कर सकते हो?!कुटम्बी सर्वशक्तिमान होते हैंहमारे व जगत के अंदर वह स्वतः निरन्तर है जो अनन्त का द्वार है।जिसे खटखटाने वाले तुमसे बड़े कैसे हो गए?हालांकि भारत में भी तुम जैसे कि कमी ही नहीं है।लेकिन तब भी कुदरत किसके साथ होगी?यह शायद ही तुम जान सको?ये शरीर तो वैसे भी मर जाना है लेकिन जो मन बार बार अपने अंदर के अनन्त दरबाजे को खटखटाता रहता है उसकी हदें भी अनन्त हो जाती है।वही सनातन होता है।भारत यानी कि भा में रत..?! #आचार्यसायण


भारत ही बनेगा विश्व का नेतृत्ववान!!!होगी भविष्य वाणियां सन्तों की सत्य!?


लोभी लालची, मजहबी, जातिवादी,उपनिवेशवादी, साम्रज्यवादी आदि कैसे दुनिया में शान्ति कैसे चाह सकते हैं?

आतंकी देश व पश्चिमी देशों की हदें हैं।

लेकिन-


आध्यात्मिकता व मानवता की हदें  खत्म नहीं होतीं...

भारत में ऐसे लोग हैं-विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम, सागर मेंकुम्भ कुम्भ में सागर का भाव रखते हैं। जो अनेक जातियों, अनेक मजहबों, अनेक भाषाओं विभिन्न क्षेत्रों आदि में भी सामंजस्य करना जानते हैं।

भविष्य हमारे ख्यालों का ही है।

#अशोकबिन्दु


सोमवार, 23 अगस्त 2021

तुर्क+मंगोल+चीन..?! तृतीय विश्व युद्ध की संभावनाएं?!


 "जिसे जिसे भारत मेंंं रहते हुए भारत के संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए भी भारत की संस्कृति सभ्यता से नफरत है उन्हें उस देश में चला जाना चाहिए"


जो देश उनके माफिक है ऐसा कहने वालोंं को विचार करना चाहिए उनके पूर्वज भारतीय ही थे उनसे नफरत करना ठीक नहीं सभी उंगलियांंं बराबर नहीं होती और यदि बराबर होती तो शायद मुट्ठीठी नहीं बनती।



जो होता है ठीक ही होता है।


महत्वपूर्ण यह है कि हमे क्या करना है।


वक्त व कुदरत हर पल इंतिहान लेती है।हमे यह समझ न आये ,तो ये अलग बात।


विदेशी आक्रमणों व विदेशी शासन ने हमें सीख भी दी है। हमें एक जुट होने का अवसर भी दिया है। कमबख्त ये जाति मजहब के नाम पर स्वार्थ की रोटियां सेंकने वाले देश मे कम नहीं है।एक ढूंढो लाखों मिलते हैं।



देश के मुसलमानों से नफरत करना ठीक नहीं।

हमें समस्याओं के जड़ में जाने की जरूरत है। 

चीन की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है।चीन को सोंच समझ कर आचरण करना चाहिए।आखिर में उसका पड़ोसी भारत ही उसके आंसू पोंछेगा।

शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

जब हम नहीं होंगे लेकिन तब बची खुची मानवता हमें याद करेगी::अशोकबिन्दु


 वक्त अब नुक्ताचीनी, लोगों पर दोष मड़ने आदि का नहीं है।जो जहां पर,जिस स्तर पर है उसे अपने आराध्य को हर वक्त स्मरण में रख कर अपने हालात में अपने कर्तव्य निभाने, सबको उनके स्तर से आगे बढ़ाने का अवसर व वातवरण की जरूरत है।#मेरेगुरुदेव


अपने आराध्य को हर वक्त स्मरण में रखिये।

अब ऐसा नहीं होगा कि कोई राम किसी रावण(र-अवन/यवन) को मारने आएगा।

अब हर मन में कहीं न कहीं पर खुराफात भरी है। अब स्थितियां दूसरी हैं।


अपने आराध्य को स्मरण में रखिए।

कुदरत से बढ़कर मानव व मानव समाज नहीं हो सकते।

हमारे आराध्य ही हमें रास्ता देंगे।

लेकिन तब जब हम उनकी शरण में रहकर अहंकारशून्य होकर अपने कर्तव्यों में लगे रहेंगे जाति मजहब की भावना से ऊपर उठ कर।अनेक सन्तों के अनुसार 2011से 2025 तक का समय बड़ा महत्वपूर्ण है।अभी भारत सिर्फ एक माह के लिए ही संयुक्त राष्ट्र संघ का नेतृत्व कर रहा है।हालात ऐसे आएंगे जब भारत दुनिया का नेतृत्व करेगा।भारत का हर नागरिक जानता है,अनेक जातियो,मजहब, भाषाओं, रीतिरिवाजों आदि के बीच जीवन जीना।भारत ही है जहां अनेक लोग अब भी हैं जो बसुधैव कुटुम्बकम की भावना रखते हैं।हिटलर व सद्दाम हुसैन ने तक कहा था कि यदि हमें भारत के सिर्फ20 प्रतिशत युवा ही मिल जाएं तो हम पूरी दुनिया पर शासन स्थापित कर सकते हैं।लोहिया, अटल, गांधी आदि #विश्वसरकार की बात कर चुके हैं।दलाई लामा भी कहते हैं मानव समाज व विश्व की समस्याएं विश्व सरकार से ही सम्भव हैं।2011 से विश्व में जो हो रहा है, वह भविष्य की तैयारी है, बड़ें काम के छोटे छोटे प्रयोग हैं कुदरत के।बस, अपने आराध्य व प्रकृति अभियान पर विश्वास रखिये।अपने स्तर से अपने कर्तव्य हम सब निभाते चलें, बस।हालत सबको अपनी औकात पर ला देंगे।जयमानवता।जय हो हमारा नगर!!जय हो कटरा विधानसभा!!

यदि हमें अपना इतिहास बनाना है तो एक दूसरे की कमियां न देख कर ऐसे हालात खड़े करने हैं जिससे कि हमारे नगर, कटरा विधानसभा, रुहेलखण्ड क्षेत्र,राज्य,देश,मानवता आदि की शान बढ़े।तभी हमारा आराध्य व प्रकृति अभियान हमारे मदद को हाथ बढ़ाएगा।


#अशोकबिन्दु

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

प्रोपलीन आक्साइड गैस ::कृत्रिम वर्षा कराने में सहायक!!

 प्रोपलीन आक्साइड गैस कृत्रिम वर्षा कराने में सहायक होती है।

एक वैज्ञानिक रिसर्च से स्पष्ट होता है कि गाय के घी से यज्ञ करने से जो गैस प्राप्त होती है, वह गैस प्रोपलीन आक्साइड गैस ही है।



भारतीय पौराणिक ग्रन्थों में कहा गया है कि यज्ञ से वर्षा होती है।

जिसके लिए गाय का घी अति महत्वपूर्ण है। 


रूसी वैज्ञानिक सिरोविच ने कहा है कि आण्विक विकरण से रक्षा पर अपने प्रयोगों के दौरान पाया कि गाय के घी की अग्नि में आहुति देने पर उसकी जो सुवास निकलती है वह जहां जहां तक फैलती है उससे सारा वातावरण आण्विक विकरण से मुक्त हो जाता है।


मानव जीवन में गाय का बड़ा महत्व है। 


कहते है कि गाय के दूध में ही  S T R O N T I O N तत्व है जो अणु विकरण का प्रतिरोधक है। गाय का दूध समस्त रोगों का शमन करता है।

गाय का फिल्टर किया गया मूत्र काफी प्रतिरोधक क्षमता धारक है।

जिन्हें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाने के कारण बसा आदि का इस्तेमाल वर्जित है वह भी के लिए गाय का घी नुकसान दायक नहीं है।

गाय के मूत्र में विटामिन बी तथा कार्बोलिक एसिड होता है जो रोगाणुओं का नाश करता है।



गाय का दूध, घी, मूत्र आदि राम बाण है। सभी बीमारियों में अति लाभदायक है।


गाय के घी से होने वाले यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है और प्राप्त गैस से वर्षा  होने में सहायता मिलती है।