बुधवार, 29 जनवरी 2020

विश्व संविधान विश्व सरकार!!!

विश्व संविधान विश्व सरकार!!
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हमारी शिक्षा की सन्तों के बीच  से शुरू हुई। आज की तारीख में एक मजहब व उसको मानने वालों को दुनिया में सन्देह की  दृष्टि से देखते हैं। वे सेक्युलर को लेकर तब तक चलते हैं,जब तक 50 व 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो जाते। उनमें हमें ऐसी प्रेरणा नहीं मिली कि किसी का मजहब कोई हो, किसी का रीति रिवाज ,कर्मकांड,धर्म स्थल आदि चाहें कोई हो हम किसी पर अपना कर्म कांड,अपनी मजहबी शिक्षा उस पर थोपेंगे नहीं। वे आज दुनियां के लिए खतरनाक माने जाते हैं।हमारी नजर में दुनिया में वह हर प्राणी खतरनाक है जो इंसान माना जाता है लेकिन उसमें इंसानियत नहीं है।वह सामने वाले को अपने मजहबी व जातीय जुनून, नजरिया में देखता है। न कि रूहानियत, इंसानियत, कुदरती व्यवस्था, संवैधानिक व्यवस्था, सेक्युलर भाव आदि के आधार पर।

हमें प्रेरणा मिली-वसुधैब कुटुम्बकम की,विश्व बंधुत्व की,सागर मे कुम्भ कुम्भ में सागर की,जियो और जीने देने की.......आदि आदि। हमारी अहिँसा रही है-मन से कोई भेद न रखना। सत्य को खोज में, संश्लेषण में लगे रहना, मालिक की याद में रहना। हिन्द प्रायद्वीप के देवी देवता एक हाथ में हथियार जरूर रखते है लेकिन दूसरे मानवता ले कल्याण के लिए।ये सामाजिक व राष्ट्र व्यवस्था की आवश्यकता है। हमारा मन नियति हर वक्त मोहम्मद साहब की उस घटना से प्रेरणा पाती है,जो एक महिला के द्वारा कूड़ा फेंकने के सम्बन्ध में है। हम उस बुद्धत्व का भी सम्मान करते हैं जो अंगुलिमन कि गलियों में जाने से परहेज नहीं करता।।

हमें कभी न कभी समझना ही होगा कि हम किसी के पूर्वनियोजित हैं।हम अनन्त यात्रा के हिस्सा हैं। हमें जाति मजहब से ऊपर उत्थान कर निरन्तर, स्वतः, निजत्व(आत्मा),  आदि से जुड़ कर विश्व सरकार विश्व संविधान का साक्षी होना चाहिए।जिसके हम हिस्सा हैं।

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