शुक्रवार, 19 मार्च 2021

चित्रकूट से वो सन्देश::सत्र 2004-5ई0:::अशोकबिन्दु


 जुलाई2004ई0 हमारे इस जीवन पड़ाव  में बदलाव का नया अवसर था इस वक्त से लगभग डेढ़ साल ये डेढ़ साल हमारे द्वंद भरे थे।
कुछ नया करने के लिए अब भी अबसर थे।सांसारिक रूप से भी आध्यत्मिक रूप से भी। हमें स्थान परिवर्तन कर देना चाहिए था। दोनों स्थितियों के लिए सन्तुलित अवसर थे।सारी कायनात दोनों हाथ उठाए स्वागत के लिए खड़ी थी। 

मोहल्ला कायस्थान (कटरा) में हम अपना निजी स्थान रखते हैं।लेकिन हम वहां एक मकान में किराए पर रहते थे। 

काफी दिनों तक रात्रि में लगभग  ढाई बजे हम जाग जाते थे। हमें अनेक सूक्ष्म शक्तियों का आभास होता था। हालांकि सन1998ई0 से हम श्री रामचन्द्र मिशन का भी साहित्य पढ़ने लगे थे। लेकिन उसमें सिटिंग नहीं ली थी। हम किशोरावस्था से ही मेडिटेशन करने लगे थे और तुरंत से ही अपने में अतिरिक्त अज्ञात आभास पाने लगे थे।हां, तो हम बता रहे थे कि हम लगभग ढाई बजे रात्रि में जग जाया करते थे। हम सूक्ष्म शक्तियों का आभास करते थे। हम देखते थे कि चित्रकूट से कोई सन्त हमें पुकारते हैं। हम ने अनेक बार चित्रकूट जाने का विचार बनाया लेकिन दिन में दैनिक दिनचर्या व  कालेज में टीचिंग ,होम ट्यूशन, लेखन, खोजी पत्रकारिता आदि में लीन रहता।


आदर्श बाल विद्यालय इंटर कालेज, कटरा में शिक्षण कार्य करते हमें लगभग डेढ़ माह होने जा रहा था। हम अंदर से महसूस कर रहे थे कि यदि हमें अपने व्यक्तित्व व प्रतिभाओं का निखार चाहिए तो अंतर्जगत के सन्देशों को हमें पकड़ना चाहिए और स्थान परिवर्तन ही नहीं, नगर परिवर्तन ही नहीं, जिला परिवर्तन ही नहीं, मंडल परिवर्तन कर देना चाहिए। चित्रकूट हमें अवश्य जाना चाहिए और वहाँ अभी कम से कम एक।माह रह कर उन सन्त की शरण रहना ही चाहिए। जिनसे अभी हमारी मुलाकात स्थूल रूप से नहीं हुई है। हमें पूरा विश्वास था एक आश्रम में मुख्य पद पाने का। 


उस वक्त हमसे कोई पूछता था कि तुम्हारा जीवन का लक्ष्य क्या है तो हम कह देते थे जीवन जीना।जीवन का लक्ष्य है जीना।यात्रा। नींद में जागते हुए पहुंचना।


मीरानपुर कटरा में ए के सिंह बीमा अधिकारी, नन्द किशोर शर्मा, आजाद पब्लिक स्कूल, फरीद अंसारी पत्रकार,सुमित त्रिपाठी, शेर सिंह यादव भमोरी आदि के सम्पर्क साथ साथ कटरा क्षेत्र व आसपास की सूक्ष्म शक्तियों के भी हम अहसास में थे। कटरा में भी कुछ लोगों से मिलने का अंतर्जगत सन्देश प्राप्त किए थे, उनसे संपर्क के अवसर भी थे।लेकिन अपने स्वभाव के कारण उनसे संपर्क न हो सका।

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