बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

आत्मा आत्मियता प्रकाश 360अंश विस्तृत::अशोकबिन्दु

 "अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता"-ये कहने वाले जन्मजात उच्चवाद, जन्मजात व्यवस्था, शिक्षक, ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि ही कहते मिल जाते हैं।लेकिन इनके जीवन में कोई अधिकार नहीं कर्तव्य ही कर्तव्य होते हैं, जगत कल्याण इनका हेतु होता है।



हमारे लिए 'स्वार्थ' है-आत्मा के लिए, आत्मा के धर्म -आत्मियता के लिए जीना। जिसका प्रकाश 360 अंश हर ओर फैलता है।इसलिए हम हृदय पर ध्यान को महत्व देते हैं। कुंडलिनी जागरण व सात शरीर, विराट रूप,अनन्त यात्रा में रुचि रखने वाले जानते होंगे हृदय चक्र व आस पास के बिंदुओं का जीवन में क्या महत्व है।

साइंस भी इधर के सुप्रीम साइंस की ओर पहुंचना शुरू होगया।हर विषय का आधार दर्शन ही है। जगदीश चन्द्र बसु जंतुओं की भांति वनस्पतियों में भी सम्वेदना/आत्मियता की बात करते हैं। कोई वैज्ञानिक ये कहता है-हमें ईंट में भी रोशनी दिखाई देती है, तो आप उस पर हंस सकते हैं।हम तो कहेंगे कि आत्मसाक्षात्कार से जी जीवन व परम् आत्मा की ओर, अनन्त यात्रा की ओर की यात्रा शुरू होती है।

पौराणिक अनेक घटनाएं अनेक को बकवास लगतीं है।हमें भी बकवास लगती थीं लेकिन मेडिटेशन करते करते जब हम जितना गहराई पकड़ते हैं-सब छंटता जा रहा है।हनुमान का सूरज भी निगलना, विश्वामित्र का अन्य धरती, प्रकृति अवयवों के निर्माण की क्षमता प्राप्त करना, अपनी सोलह रानियों के साथ एक ही समय पर एक साथ पंहुचना आदि सहज मार्ग में विज्ञान के साथ अनुभव में है।


हमने देखा है जब हम पढ़ते थे तो कुछ टीचर वृत्त में विद्यार्थियों को बैठालते थे और स्वयं बीच में बैठ जाते थे।कुछ टीचर विद्यार्थियों को यू या सी आकार में बैठालते थे।अब भी कुछ उच्च स्तरीय व अंतरराष्ट्रीय विद्यालयों में क्लास c या u आकार में लगाए जाते हैं। इसके पीछे भी एक सनातन दर्शन छिपा हुआ है।


और.... स्वार्थ?!हमारे स्वार्थ का सम्मान होना चाहिए।किसी आध्यात्मिक व्यक्ति का बोलना क्या होता है?एक अंतर्मुखी का बोलना क्या होता है?एक चिंतन मनन में रहने वाले का बोलना क्या होता है?सहजता...... ये सहजता में बोलना क्या है? 


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