गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

हमारी जिंदगी नैतिक शिक्षा की वह किताब है जिसमें मोहम्मद व ईसा भी हैं।कोई बताए कि बसुधैव कुटुम्बकम का मतलब::अशोक बिंदु

 

काहे  का वसुधैव कुटुुंुंकम ,जगत का कल्याण  हो... चीखना?!   आचरण क्या है? ऋषि मुनि नबियों के बाद  आचार्य महत्वपूर्ण है  ,आचरण महत्वपूर्ण हैैै। इससे काम नहीं चलता कि जिंदगी भर चीखते रहो  -- जगत का कल्याण हो ,जगत का कल्याण हो । जगत में क्या  गैरमजहबी गैरजात के लोग नहीं रहते ?उनके प्रति भेदभावना रखना क्या उचित है ?जब वसुधैव कुटुंबकम ही है तो अपने परिवार तरह पूरे विश्व हो क्यों नहीं समझते ?जाति ,मजहब ,देश आदि की सीमाओं में क्यों बैठे हुए हो  ? विश्व सरकार ,विश्व बंधुत्व  की बात क्यों नहीं करते ?
दाल में जरूर काला है? हमें लगता है पूरी दाल ही काली है?
 ऐसे काम नहीं चलेगा । ये यह कहने से काम नहीं चलेगा कि हम पूजा पाठ के समय कहते रहते हैं जगत का कल्याण हो जगत का कल्याण हो हमारा आचरण क्या है हमारा नजरिया क्या है हम सीखते हैं अधर्म का नाश हो लेकिन हमें पहले यह तो बताओ धर्म क्या है धर्म क्या है एक जाट विशेष समूह के कर्मकांड अंधविश्वास क्या धर्म है दूसरी जाति दूसरे मजहब के कर्मकांड अंधविश्वास अधर्म है हमें इंसानियत से कोई मतलब नहीं हमें वसुधैव कुटुंबकम से कोई मतलब नहीं हमें विश्व बंद से कोई मतलब नहीं यह कैसा सीखना है कैसा चीखना की जगत का कल्याण हो लेकिन कर क्या रहे हो लोग लालच के लिए दूसरों के खिलाफ दूसरे जाति मजहब के खिलाफ हिंसा भी करने को तैयार हो जो गलत है तुम चाहते हो जो हमारे साथ ना हो वह दूसरे के साथ भी ना हो जो कुकर्म हम अपने साथ नहीं चाहते हैं वह कुकर्म हम दूसरों के साथ भी ना चाहे हमारी जाति हमारे मजहब का अपराधी अपराधी ही होना चाहिए हमारी जाति हमारे मजहब का नहीं आखिर तुम्हारे वसुधैव कुटुंबकम की भावना से मतलब क्या है?

आज मोहम्मद साहब का जन्मदिन हम भी मना रहे हैं क्योंकि हमारे लिए वसुधैव कुटुंबकम विश्व बंधुत्व का मतलब बहुत कुछ है तुम जियो जातिवाद में तुम जियो मजहब बाद में तुम जियो देश बाद में हम जीने चल रहे हैं वसुधैव कुटुंबकम विश्व बंधुत्व की भावना के साथ विश्व सरकार की कल्पना को लेकर आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का भी कहना है मानव समाज की समस्याएं विश्व सरकार विश्व बंधुत्व वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ही समाप्त हो सकती हैं विश्व के सामने कोई समस्या नहीं है कुदरत के सामने कोई समस्या नहीं है जो भी समस्याएं हैं वह मनुष्य के समाज में हैं कुदरत की नजर से ब्रह्मांड की नजर से विश्व की नजर से आत्मा की नजर से परमात्मा की नजर से हाड मास शरीर की नजर से हम कहना चाहेंगे मनुष्य स्वयं एक समस्या बन गया है कुदरत की कोई जात नहीं कुदरत का कोई मजहब नहीं ब्राह्मण ब्रह्मांड की कोई जात नहीं ब्रह्मांड का कोई मजहब नहीं इस हार्मा शरीर का इस हाड मास शरीर का आत्मा का परम आत्मा का कोई मजहब नहीं कोई जात नहीं कोई निश्चित एक देश नहीं हमें आश्चर्य होता है आप कहते फिरते हो हम अपने धार्मिक कर्मकांड में कहते हैं जगत का कल्याण हो मात्र कहने से काम नहीं चलेगा उठो जागो अपने को पहचानो हमारे अंदर कुछ है जो अनंत से जुड़ा है जो स्वतः है जो निरंतर है उसकी कोई जात नहीं उसका कोई मजहब नहीं।


हम संत परंपरा का सम्मान करते हैं हम संत गुरु नानक का सम्मान करते हैं जिन की धमक काबा तक थी अब भी उनकी निशानियां काबा में काबा की हवा में मौजूद हैं हम मोहम्मद साहब की दोस्तों को सलाम करते हैं अंतर नमन करते हैं उस सम्मान देते हैं हम कैसे भूल सकते हैं एक दुष्ट महिला जो उन पर कूड़ा फेंका करती थी उसके स्वास्थ्य की चिंता के लिए बेहतर हो जाते हैं हम कहां पर खड़े हैं मोहम्मद साहब के अनुयाई कहां पर खड़े हैं हम अपनी असल जिंदगी में हम वास्तव में आचरण से मोहम्मद साहब के साथ क्या खड़े हैं अर्थात क्या हम उनके संदेशों से अपने जीवन को सुंदर बना देना चाहते हैं या फिर जातीय मजहबी पुरोहितों के जाल में फंस कर भीड़ हिंसा सांप्रदायिकता नफरत द्वेष आदि के समर्थन में खड़े होकर पूरे विश्व में मानव समाज में विकास खड़ा करना चाहते हैं धर्म क्या है धर्म है अपराध के खिलाफ खड़े होना धर्म है दूसरों को कष्ट ना देना जो हम अपने साथ नहीं चाहते जो हम अपनी बहू बेटियों के साथ नहीं चाहते वह हम दूसरों के साथ भी ना करें यही हमारा धर्म है कुदरत से बढ़कर कोई नहीं

1 टिप्पणी:

  1. वर्मा जी अतिउत्तम विचार ॐ गॉड अल्लाह सतनाम।नानक मोहम्मद ईशा राम।। ला इलाही इल्ललाह।एक वृम्ह कुल विस्मिल्लाह

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