शनिवार, 24 अप्रैल 2021

श्री महावीर जयंती:: महाव्रत प्रकृति अभियान/यज्ञ से सम्बद्ध होने का आगाज::अशोकबिन्दु

 


जब वीर की बात चलती है।

हमारा ध्यान जैन पर जाता है,जिन पर जाता है।

वीर हमारी नजर में  दो तरह के हैं-अंतर्मुखी व बहिर्मुखी।

महावीर का महाव्रत योग के अंगों में से पहले अंग है-सत्य, अहिँसा,अस्तेय, अपरिग्रह व ब्रह्मचर्य।

एक बार महावीर जैन अपने संघ के साथ एक गांव के बाहर देव स्थान पर आकर रुके। वहां वे साथ आठ दिन रहे और सद्चर्चा की।

वे रोज अपना भिक्षा पात्र लेकर गांव जाते और खाली ही भिक्षा पात्र लेकर वापस आ जाते।

गांव में कौतूहल होता, स्वामी को घर घर लोग भिक्षा देने के लिए तैयार लेकिन तब भी वे खाली पात्र लेकर गांव से वापस चले आते।


इस तरह  अनेक दिन बीत गए। 

लोगों ने एक दिन देखा कि इस बार पात्र खाली नहीं है। वास्तव में भिक्षा पात्र खाली न था।

लोगों ने पूछा।

दरअसल, महावीर गांव क्षेत्र में प्रवेश करते मन ही मन संकल्प लिए थे कि जिस घर के दरबाजे पर कोई स्त्री काले  कपड़े पहले हमें भिक्षा देने लिए खड़ी होगी,तभी हम उससे भिक्षा ग्रहण करंगे।


हमारा विश्वास कहाँ पर टिका है?नब्बे प्रतिशत लोग भूत योनि की संभावनाओं में ही जीते हैं।


हम अपनी पूर्णता में जीते कब है ? हमसब के अन्दर दिव्यताओं की संभावना हैं, हम सब प्राकृतिक मूर्ति है।हममे प्राकृतिक प्राण प्रतिष्ठा है। हम उसको कब अवसर देते हैं?

संकल्प व अंतर शक्तियों की आजमाइश में हम कब रहते हैं?जड़ भरत व ऋषभदेव का महाव्रत है, संकल्प व अन्तरशक्तियों को अवसर देना।यह कहने से काम नहीं चलता कि हम आस्तिक हैं, हम सनातनी हैं।हम आजमाइश किसकी करते हैं ?यह महत्वपूर्ण है।

किसी ने कहा है योगी है मृत्यु।आचार्य है मृत्यु। विश्वास है ,आस्तिकता है-आत्मा या अंतर्चेतना, या अंतर व्याप्त स्वतः, निरन्तर पर विश्वास। जो जगत में मृत्यु से कम नहीं है।


चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा है, जंगल है, प्रकृति है।अफसोस सब बनावटों, पूर्वाग्रहों  में विश्वास करते हैं।आत्मा व आत्मा के गुणों, आत्मा के वातवरण  को स्वीकार किया नहीं अर्थात आत्मियता, आत्म बल, आत्म प्रतिष्ठा, आत्म सम्मान, आत्म धर्म को जिया नहीं परम् आत्मा को क्या जिएगा? इसलिए कमलेश डी पटेल दाजी का कहना है कि  तुम आस्तिक हो या नास्तिक ये महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है कि तुम।महसूस क्या क्या करते हो?तुम्हारी समझ व चेतना का स्तर क्या है?


हम कहते रहे हैं कि लोग बुद्ध व जैन को अनीश्वरवादी मानते है लेकिन हम नहीं।  वैसे भी दुनिया उनके खिलाफ रही है जिनमें धर्म पैदा होने के लिए लालाइत रहाहै। दुनिया तो पाखण्ड।में।रही है।

#अशोकबिन्दु

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