मंगलवार, 26 मई 2020

बदलाव को स्वीकार न करने वाला मनुष्य सिवा विश्व में कोई समस्या नहीं::अशोकबिन्दु

 विश्व स्वयं क्या है?उसकी अपनी क्या समस्या है?समस्या तो वह प्राणी है तो जो इंसान माना जाता है लेकिन इंसानियत है नहीं।
यदि कुछ वर्षों के लिए मनुष्य को निष्क्रिय कर दिया जाए तो विश्व की सभी समस्याएं हल। इंसान को स्वयं बदलने की जरूरत है।मनुष्य बदलेगा तो विश्व में सब बदलाव में होगा।बदलाव को स्वीकार न करने वाला व्यक्ति विश्व व विश्व में जी स्वतः है उसका दुश्मन है। विश्व सरकार व विश्व सम्विधान को समझने की जरूरत है।

हम बदलाव पर विश्वास रखते हैं।हम विकसित नहीं विकासशील हैं।हमारे व विश्व के अंदर कुछ है जो स्वतः है निरन्तर है.... उसके लिए वक्त देना महत्वपूर्ण है।वक्त जीवन का महत्वपूर्ण अंग है।वक्त हम जिसके साथ गुजरेंगे ,उसका ही वर्चस्व हम अपने साथ प्रभावित पायेगे ही ,भविष्य की पीढ़ियों व भविष्य के विश्व को भी प्रभावित करेंगे।हम जो सोंचते है, करते हैं, बोलते है उसका असर भविष्य को प्रभावित करता है। हम मेडिटेशन में इस बदलाव के साक्षी होने का प्रयत्न करते हैं। हम समझ व चेतना की जो समझ व स्तर रखते हैं, उससे आगे भी समझ व स्तर के अनन्त बिंदु हैं। आओ, हम अपने व विश्व के अंदर के स्वतः व निरन्तर को उसके ही स्तर पर होने दें।हम से सम्पर्क बनाए रखें।
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Yog Sadhak Sushil Ji
Nishant Das Parth
Priyank Kumar




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