बुधवार, 2 सितंबर 2020

बाबू जी ने कहा था कि.......हमारी हर योजना दुर्घटना बन सकती है::श्री पार्थसारथी राजगोपालाचारी


पृष्ठ 46,

 लाला जी महाराज

पुस्तक-"वे, हुक्का और मैं"!


"बाबू जीने एक बार मुझसे कहा था कि सारी अप्रत्याशित घटनाएं, ईश्वरीय योजना के अनुरूप होती हैं, जबकि हमारी हर  योजना दुर्घटना बन सकती है।"-श्री पार्थ सारथी राजोपलाचारी।



 आदि शंकराचार्य ने  ऐसी तीन बातों के बारे में बताया है इनकी कुछ लोग कल्पना भी नहीं कर सकते पहली बार इस भूलोक में मानव लोक में जन्म लेना और मोच केवल इसी लोक में संभव है किसी अन्य लोक में नहीं साथ ही ऐसे समय पर जन्म हो जब कोई महान गुरु इस धरती पर विद्यमान हो अर्थात समर्थ सद्गुरु हमारे बीच मौजूद हो यह दूसरा आशीर्वाद है क्योंकि हो सकता है आप तब पैदा हो जब कोई गुरु उपलब्ध ही ना हो ऐसी कोई हस्ती उपलब्ध ना हो ऐसी सहायता उपलब्ध ना हो और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है की वे धरती पर विद्यमान हो और आप भी हो साथ ही आप उन तक पहुंचने में सक्षम हो पाए उन्हें गुरु के रूप में स्वीकार करें और उन्हें समर्पण कर दें ए तीन सबसे बड़े आशीर्वाद है जो एक आत्मा को एक आकांक्षी आत्मा को ईश्वर के द्वारा प्रदान की जा सकते हैं।



बाबू जी ने एकदम शुरू से ही कहा है अगर तुम आध्यात्मिक बनना चाहते हो तो बुद्धि को दरकिनार कर दो बाबूजी ने एक बार मुझसे कहा था की सारी अप्रत्याशित घटनाएं 30 योजना के अनुरूप होती हैं जबकि हमारी हर योजना दुर्घटना बन सकती है जैसे कोई कहीं से माना अर्जेंटीना से पेरू जाने का निश्चय करता है और अचानक उसका हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है जैसे 2 दिन पहले वहां भयंकर विमान दुर्घटना हुई थी क्या हुआ उनकी योजना धरी की धरी रह गई जैसा के अंग्रेजी साहित्य में कहा जाता है छोटे से छोटे जीव से लेकर मनुष्य तक की अच्छी से अच्छी योजना भी अक्सर तहस-नहस हो जाती है चूहे से लेकर इंसान तक किसी भी जीव की तो अपनी योजनाओं पर भरोसा मत करो इसीलिए कई बार खास तौर पर विदेशियों द्वारा मेरी आलोचना हुई है कि आप अपनी योजनाओं के अनुसार काम नहीं करते मैंने अपनी योजनाओं पर हमेशा अमल किया है लेकिन उन लोगों का मानना है भारत की हमेशा देरी से आते हैं भारतीय समय विलंब का पर्याय बन गया है जबकि वास्तव में इसका उल्टा है। आप जर्मनी जाते हैं और जहाज ढाई घंटे लेट हो जाता है ओहो फ्रैंकफर्ट में तूफान रहा होगा अर्पणा हर कोई अपना सेब और सॉसेज लेता है और मुस्कुराते हुए हवाई जहाज में जाकर बैठ जाता है क्योंकि जर्मनी में हवाई जहाज कभी देरी से नहीं उड़ते अब अगर वहां तूफान आया हो तो आप कर भी क्या सकते हैं अगर पैसा मौसम भारत में हो और हवाई जहाज लेट हो जाए ,"भारत में ,हा ! इम्मर ,इम्मर "जर्मन भाषा में जिसका अर्थ है," भारत में हमेशा हमेशा ही ।" यह गोरों का अहंकार ही है कि यूरोप में ट्रेन भले ही लेट आए, फिर भी वह सही समय पर ही होती है ।"क्योंकि एक ट्रेन की गलती नहीं है, कहीं, कोई अड़चन आ गई होगी ।" आप समझे?



हम(अशोकबिन्दु)उपरोक्त को पढ़ते पढ़ते ,हमें ध्यान आया कि-हम पुरानी बात ही दोहराते हैं। आत्मा गर्भ धारण करते वक्त व इससे पहले ही अपनी योजना लेकर आती है।हमने यहां पर कुरु आन के शुरुआती सात आयतों "अल-फातिहा"सम्बंधित पृष्ठ की भी तश्वीर डाली है।इसको आदि शंकराचार्य की उल्लखित उपरोक्त बात को ध्यान में रख कर देखने की कृपा करें। हां, आत्मा जब गर्भ धारण करती है तो उस वक्त व उससे पहले ही उसकी योजना तय होती है।



दोष अपना ही होता है हम औरों को दोष देते हैं।





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