गुरुवार, 11 जून 2020

जीवन का यथार्थ क्या है?जो है उस तक कौन::अशोकबिंदु

 क्रांतिकारी भगतसिंह ने यथार्थवाद को स्वीकार किया।

यथार्थ क्या है?


हर स्तर पर भटकाव है। हर स्तर पर यथार्थ है।

एक व्यक्ति ट्रक ड्राइबर का एक्सीडेंट हो जाता है।
उसे अपना बायां हाथ कटवाना पड़ता है।
उस एक्सीडेंट के लिए दोषी कौन?
समाज, अदालत, पुलिस, वर्तमान में मौके पर स्थिति की नजर में दोषी कौन?दोषी कौन नहीं?


रूस में एक तकनीकी आयी है कि उस तकनीकी से हम किसी व्यक्ति के आभामंडल/आंतरिक प्रकाश की स्थिति जान सकते हैं।

बात ये महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई आस्तिक है या नास्तिक।
महत्वपूर्ण है कि किसी की समझ व चेतना का स्तर  क्या है?
हमारा जीवन मतभेद, भेद, निंदा ,खिन्नता, पक्ष विपक्ष आदि में ही गुजर जाता है।हम अपने स्तर में हीं फंस के रह जाते हैं।हम यहां तक महसूस नहीं कर पाते हैं कि हम जिस स्तर पर हैं, जिस नजरिया, सोंच, भावना, समझ आदि स्तर पर है उस स्तर से भी ऊपर हैं अपनी चेतना व समझ के स्तर व बिंदु।



उस एक्सीडेंट के लिए जिसका समझ का स्तर वैसा ही स्तर का विचार, मूल्यांकन, निरीक्षण आदि। अब वह मूर्ख है उन लोगों के लिए ही जो इस पर विश्वास (वास्तव में अविश्वास) करते  है कि  दुनिया को ईश्वर चलता है, उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता,जो कहता है सब मालिक की मर्जी।

 रूस में वह तकनीक प्राणी के आभा मंडल की स्थिति या वास्तिवकता स्पष्ट करती है।यथार्थ स्पष्ट करती है।हमारे,वस्तुओं व जगत के तीन स्तर हैं-स्थूल, सूक्ष्म व कारण। हर स्तर पर भी अनेक स्तर बिंदु। कोई तो जब कहे कि हमें ईंट में भी रोशनी सिखाई देती है ,तो हमे वह मूर्ख भी नजर आ सकता है।और उसकी दुनिया देखने की नजर आपकी नजर से भिन्न होगी।वहां न जातिवाद, मजहबवाद,राष्ट्रबाद आदि होगा।वहां तो सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर जैसी भी भी स्थिति होगी।सन्त कबीर, गुरु नानक, रैदास आदि पर पी एच डी किया व्यक्ति भी, इनकी तश्वीरों पर पुष्प अर्चन करने  वाला व्यक्ति भी उसको मूर्ख कह सकता है। गुरु नानक तो वह कहते है-"सब चुंग जा सब राम का"।पैगम्बर साहब अपने ऊपर कूड़ा फेंकने  वाली का भी हालचाल लेते है।लेकिन... लेकिन उनके भक्त।वे खून खच्चर करने को भी तैयार।भक्ति तो यथार्थ को देखने में है। स्थूल, सूक्ष्म व कारण तीनों स्तरों का यथार्थ कब दिखे?


आयुर्वेद कहता है कि व्यक्ति अपने साथ का छह महीने पहले भी जान सकता है। ज्योतिष कोई चमत्कार नहीं है।ज्योति+ईष अर्थात ज्योति चिन्ह... हमारे अंदर, सबके अंदर, जगत के अंदर  आदि भी  कुछ है जो स्वतः है निरन्तर है। उसका वर्तमान अतीत व भविष्य  से सम्बन्ध है।जीवन वह वर्तमान है जो स्वयं त्रिकाल दर्शी है। किसी ने कहा है आत्मा ही ज्ञान है, आत्मा ही है वेद, आत्मा ही है -ज्योतिष।


उस रूस की तकनीकी ने छह महीने पहले ही उजागर कर दिया था कि उस बांया हाथ  में प्रकाश नहीं है।उस तकनीकी रिपोर्ट के बाद छह माह बाद अब उस एक्सीडेंट के बाद वह बांया हाथ कटवाना पड़ा।


ऐसे में यथार्थ क्या है?एक्सीडेंट को जो दोषी वे दोषी क्यों?हमारा कर्तव्य है-सुप्रबन्धन की कोशिस!!



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