सोमवार, 29 जून 2020

आखिर सम्मान क्या है:::अशोकबिन्दु

 कमलेश डी पटेल 'दाजी' ने बाबा रामदेव की उपस्थिति में कहा था-व्यक्ति का सम्मान जिंदा रहते होना चाहिए।ऐसे में हम बाबा रामदेव के नाम से  एक सड़क बनवाने जा रहे है।

 बता दे कि  हैदराबाद स्थित कान्हा शांति वनम हजारों हेक्टर जमीन पर फैला हैम जिसे सरकार ने ग्राम पंचायत की भी मान्यता दी है। वहां पर सभी सड़कें किसी ना किसी महापुरुष के नाम से बनाई गई हैं। अब एक सड़क दाजी बाबा रामदेव के नाम से भी बनवा रहे हैं।


 यह सत्य है कि आखिर हमें क्यों नहीं किसी व्यक्ति का जिंदा रहते सम्मान क्यों नहीं करना चाहिए? हम बचपन से ही देखते हैं कैसे एक अंकुरित महानता अपने परिवार अपने स्कूल अपने कार्य क्षेत्र में ही दमित होकर रह जाती है? चारों माफियाओं का राज होता है ।सच्चाई को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता ।मानवता अध्यात्म यथार्थवाद को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता। लोग ईश्वर की बात करते हैं , धर्म की बात करते हैं ।धर्म के नाम पर ,धर्म स्थलों के नाम पर सड़क पर, औरों के घरों के सामने उन्माद फैलाते हैं ।हिंसा फैलाते हैं। कृत्रिम ता ओ के लिए, बनावट के लिए कुदरती चीजों को छिन्न भिन्न करते हैं। समस्याएं तो मानव के जीवन में कुदरत के सामने कोई समस्या नहीं है।

 हमारा शरीर भी आपका शरीर भी कुदरत है। एक औरत का शरीर भी कुदरत है। एक बच्चे का शरीर भी कुदरत है ।एक असहाय भिखारी दुश्मन का भी शरीर कुदरत है ।कुदरत का अपमान करना क्यों ?हम कौन होते हैं कुदरत का अपमान करने वाले ?अभी वक्त है संभल जाओ। कुदरत हिसाब किताब करना जानती है। तुम कितने बड़े भी शेर खा हो? तीरंदाज हो? तुम जिन पर फलते फूलते हो अहंकार दिखाते हो उनकी भी कुदरत के सामने कोई औकात नहीं।



इस दुनिया में अल्पसंख्यक का कभी भी सम्मान नहीं किया। आखिर अल्पसंख्यक कौन है ?हमारे लिए अल्पसंख्यक वह है जो समाज में घर में संस्थाओं में अकेला खड़ा है? कुदरत को साथ लिए, संविधान को साथ ले, मानवता को साथ लिए, उदारवाद को साथ ले, अध्यात्म बाद को साथ ले वह...? लोग लालच जातिवाद मजहब बाद धर्म स्थल बाद आदि के खिलाफ खड़ा है हमारा तंत्र। तब ही सम्माननीय है ।जब भीड़ के अंदर एक अकेला व्यक्ति भी सम्मानित है प्रतिष्ठित है जनतंत्र में ..?हर व्यक्ति जब तक सम्मानित नहीं है तब तक वह तंत्र जनतंत्र नहीं है ।

हम देखते हैं समाज के ठेकेदार संस्थाओं के ठेकेदार सांसद एमएलए वार्ड मेंबर आदि जनप्रतिनिधि सब के सब किसके सम्मान में खड़े हैं?
 मोहल्ले गांव बाढ़ के दबंग माफिया मनमानी करने वाले सब के सब किसी ना किसी नेता किसी ना किसी राजनीतिक दल के सहारे अपना जीवन जी रहे हैं थाने की राजनीति नगर के माफिया को कौन सहारा दे रहा है लोकतंत्र में जब तक हर व्यक्ति सम्मानित नहीं जब तक हर व्यक्ति सीना तान कर जिंदगी जीने के लिए स्वतंत्र नहीं तब तक वह तंत्र जनतंत्र नहीं लोकतंत्र नहीं


सम्मान कैसा सम्मान सम्मान ....!!हमारा सम्मान हमारी भावना है! हमारा सम्मान हमारी आत्मा है !हमारा सम्मान हमारी विचारधारा है! हमारा सम्मान हमारी मानवता, आध्यत्म को अवसर है। हमारा सम्मान सामाजिकता नहीं मानवता है।हमारा सम्मान वह चरित्र है जो समाज ,संस्था, समाज व संस्थाओं के ठेकेदारों की नजर में जीना नहीं, महापुरुषों की नजर में जीना है।

चन्द्र भूषण पांडेय कहते हैं-जन तन्त्र में कोई v i p होना ही नहीं  चाहिए।

हम अभी किसी भी प्रकार के जनतंत्र को वास्तव में स्थापित नहीं कर पाए हैं। लोकतंत्र का मतलब सिर्फ यही नहीं है कि जाति, मजहब में प्रत्याशियों, मतदाताओं को बांट कर मत पा जाना।अभी हम सामाजिक व आर्थिक  लोकतंत्र से तो काफ़ी दूर हैं।



देश के अंदर  निरपेक्ष व्यक्ति, जाति मुक्त, मजहब मुक्त नागरिकों आदि के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।


ऐसे में हम?हम अकेले खड़े हैं। भीड़ में भी, ठेकेदारों ने तो दुश्मन मान रखा है। जो भी हमारे सम्मान में खड़े है, सब झूठे हैं। कुछ अपवाद को छोड़ कर।










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