गुरुवार, 4 जून 2020

स्वयं व जगत को जाने बिना समस्याओं का हल नहीं::अशोक बिंदु

धरती पर सबसे खतरनाक प्राणी यदि कोई है तो सिर्फ मनुष्य मनुष्य ही सिर्फ ऐसा प्राणी है जो प्रकृति अभियान का हिस्सा होने के बावजूद उससे अलग-थलग है मनुष्य के अलावा सभी जीव जंतु प्रकृति में जी रहे हैं यदि जीव जंतुओं को कोई समस्या का सामना करना भी पड़ा है तो उसके लिए स्वयं मनुष्य ही दोषी है मनुष्य अपने को आखिर समझता क्या है वास्तव में मनुष्य अभी मनुष्य नहीं हुआ है यही सबसे बड़ा खतरा है और यही सबसे बड़ी समस्या है वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ हो अमेरिका हो कोई भी देश हो अपने को कुदरत का हिस्सा मानते हुए कुदरत की नजर से हिसाब किताब बराबर नहीं करना चाहता ऐसे में भारत है उम्मीदें बढ़ जाती हैं भारत स्वयं एक विश्व है भारत में अनेक जातियां अनेक मजहब अनेक भाषाएं अनेक रीत रिवाज कर्मकांड होने के बावजूद एक सूत्र में पुरैनी की क्षमता है यहां सब आपस में लड़ते भी हैं झगड़ते भी हैं लेकिन कुछ मुद्दों पर एक हैं यहां की संस्कृति जानती है वसुधैव कुटुंबकम सर्वे भवंतु सुखिनः आदि आदि देशभर विश्व के तंत्र को नेताओं को बदलने की जरूरत है उसे आप जाति मजहब देश की भावना से ऊपर उठकर जीवन मनुष्यता प्रकृति को बचाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है दुनिया के अमीर देश बैठकर कितना भी चिंतन मनन कर लें तब तक कोई भला नहीं होगा जब तक जाति मजहब देश क्षेत्र भाषा आज से ऊपर उठकर बात नहीं होगी दलाई लामा ठीक कहते हैं विश्व सरकार है सभी समस्याओं का हल है सभी समस्याओं का हल वही कर सकता है जो किसी भी जाति मजहब देश से मुंह ना रख कर पूरे वैश्विक प्राकृतिक व्यवस्था को शांति रूप से चलाने की प्रक्रियाओं से नहीं जुड़ता

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