सोमवार, 29 जून 2020

हम आखिर कब सुधरंगे :: अशोकबिन्दु

अभी न सुधरे तो कब सुधरोगे?
 नई सोच नए बदलाव के साथ चलना होगा!
 पुरानी धारणाओं को छोड़ना होगा!
 कोई भी विकसित नहीं है!
 विकासशील रहना है तो आगे बढ़ना है !
अतीत को छोड़ना है! एशिया में इस वक्त अनेक संभावनाएं हैं!

 हमें तय करना है ,हमें किधर जाना है!

 जो देश सोच समझकर कदम नहीं रखेगा ,विश्व बंधुत्व वसुधैव कुटुंबकम मानवता अध्यात्म आदि को लेकर नहीं चलेगा ।जातिवाद, धर्म वाद, देश बाद आदि में उलझा रहेगा । उसका पतन आवश्यक है।

 आओ हम सब लोग मिलकर कुदरत की आवाज बने।

 मानवता की आवाज बने ।
देशवाद को छोड़कर विश्व सरकार की बात करें ।

दलाई लामा भी कहते हैं -सभी समस्याओं का हल है विश्व सरकार!

चीन, कोरिया, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, ईरान, इराक आदि देशों को इस पर विचार करना होगा। अभी नहीं तो आगे लेकिन तब काफी देर हो चुकी होगी।
आध्यात्मिक दुनिया भारत और कमलेश डी पटेल दाजी की ओर, राजनैतिक दुनिया भारत और नरेंद्र मोदी की ओर देखने लगी है।

खुदा ख़ुदा, ईमान ईमान, हिंदुत्व हिंदुत्व ..... आदि चीख चीख कर सड़क पर कितना भी उन्माद फैलाए हों।अनेक चीजें कोरोना के माध्यम से व आगे कर अनेक माध्यम से कुदरत हिसाब किताब बराबर कर देगा। बचा खुचा हिसाब तृतीय विश्व युद्ध, वर्ग संघर्ष, साम्प्रदायिक दंगे, भूकम्प, भुखमरी, बेरोजगारी आदि गृहयुद्ध से होगा। लेकिन दुनिया के दिलों पर राज करने वाला कोई और ही होगा।लोग मजबूरी में विश्व बंधुत्व, बसुधैब कुटुम्बकम, आध्यत्म, मानवता को स्वीकारेंगे।लेकिन जातिवादियों, मज़हबीयों, देशवादियों का कोई नाम लेने वाला नहीं मिलेगा।
कबीरा पुण्य सदन

#अशोकबिन्दु






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