बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

आज का सहजमार्ग ......!?


 Courtesy - Brother Urvesh Jain (Jodhpur Center Rajasthan India) 


Translation of Daaji today Morning & Evening Speech (Hindi) 16/02/21


1. आज के सहज मार्ग को देखकर क्या लालाजी खुश होंगे?


रात मैंने स्वप्न में देखा,किसी ने मालिक के मोजे चुरा लिए,मालिक खुश थे।किसी ने मालिक का बिस्तर चुरा लिया,मालिक खुश थे।

दूसरा दृश्य:अंतिम समय में बीमारी से पहले का जिसमें no stealing only stillness.

अहमदाबाद की कुछ बहिनें मिलने आयीं, चारी जी को बहुत याद कर रही थी।कहने लगी,एक दिन चारी जी ने हमें जीन्स पहन कर आने को कहा हम जीन्स पहन कर आई और डांस हुआ।क्या आप भी डांस पसंद करेंगे?

चारी जी समय की जरूरत के अनुसार आपके स्तर तक आये।अब आप परिपक्व हैं।

आप किस चीज से खुश हैं? लोग बाबूजी के चप्पल चूरा कर खुश होते थे।


2.क्या आप उनको संतुष्ट करने में लगे हैं?-मैंने इतने कार्यक्रम करवा दिए।

मौन,पूज्य भाव,शांत हृदय, कोई मांग नहीं हो। यहां तक कि आंनद का भी त्याग - मैं का त्याग m ness,I ness का त्याग। जब मैं अनुपस्थित हो गया तो इन सब चीजों का अर्थ ही क्या? यह प्रप्पन की स्थिति है।परबम्हाण्ड मंडल पार कर,हृदय क्षेत्र पार कर अद्वैत में।प्रगति का ख्याल भी न रहे। जब आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा शून्य हो जाये,तब मालिक खुश होते हैं, चिंतित होते हैं।


3. जिस दर्द या बैचनी की बात बाबूजी करते हैं, वह तो शुरुआत है। जब 'मैं' ही अनुपस्थित हो गया तो दर्द  का क्या अर्थ?


4. एक बंसन्त उत्सव के बाद जब लोग लौट रहे थे,तब बाबूजी ने कहा "उजड़ी हुई बस्ती,टूटा हुआ पैमाना"

शुरू में प्रेम,बैचनी ठीक है,परन्तु परब्रह्मण्ड मंडल में-प्रपन्न में शरणागति मालिक का प्रेम चुराने के लिए हो न कि चप्पल।


5.सच्चे समर्पण में यह भी न हो " मालिक आपकी कृपा"। गुरु ऐसे शिष्य का इंतजार करता है,समय से पूर्व भेजने के लिए।


6. बाबूजी ने कहा" शीश दिए हरी मिले, तो भी सस्ता जान"

100 अभ्यासी केंद्रीय क्षेत्र में जाने के लिए इंतजार कर रहे हैं,उन्हें क्या रोक रहा है- शरणागति की परिपक्वता। आपको पता भी न लगे,आप शरणागति में आ गए हैं। यह प्राकृतिक रूप से हो।


7.जनक ने अस्थावक्र से पूछा- वैराग्य कैसे,उच्च ज्ञान कैसे,मोक्ष कैसे?

उत्तर मिला "विषय का त्याग करें।" विषय अर्थात इच्छा। मालिक सभी संस्कार हटा दें,तब भी  इच्छा बनी रही तो क्या होगा?संस्कार बनते ही रहेंगें। मालिक ने इतनी मेहनत की है आप पर,ईश्वर भी हसेंगे।

एक बहुत ही devoted लड़की को शादी के लिये कहा गया तो उसने कहा मिशन को आश्रम बनाने के लिए धन की आवश्यकता है,तो मुझे शेख से शादी करना है।


8.स्वयं विश्लेषण करें- मैं सत्य खोज रहा हूँ या इच्छा पूरी कर रहा हूँ?मेरा पति शराब पीता है- क्या मेरी इच्छा नहीं कि वह छोड़ दे?कारण खोजें, उसने ऐसा क्यों किया,ऐसे ही नहीं कह दें।


9.आप यह कह सकते हैं, बाबूजी सब कुछ कर सकते हैं।हाँ वे भी कहते हैं, "मैं दुनिया को लट्टू की तरह घुमा सकता हूँ।पर वह भी कुछ चीजें नही कर सकेजैसे -पुत्र की आत्महत्या,सही वक्त पर functionary का चुनाव कर पाना। उन्होंने हममें विश्वास किया-एक पद दिया, घमंड आ गया। इसीलिए उन्होंने कहा,"जिसको मिला हल्दी का गाँठिया, वही अपने को पंसारी समझ बैठा"

मालिक ने कुछ काम दिया-हमें घमंड आ गया।यह परीक्षा है।

प्रशिक्षक बनाया- घमंड आ गया- गया काम से। किसी काम के लिए शक्ति दी-आपने काम नहीं किया,यह उनकी असफलता नहीं है।


10.हर क्षण आत्मचिंतन करें-हमें क्या रोक रहा है?पहिली सिटींग को याद करें, देखें तब से क्या हुआ?


11.बाबूजी अस्तावक्र की तरह गुण विकसित करने को नहीं कहते, वे कहते हैं: ध्यान,सफाई,प्रार्थना।

ध्यान एक कर्मकांड होकर रह गया है।

लक्ष्य रखें,पर उसके लिए क्रेजी न हों। केवल प्रेम करें-सब प्राकृतिक तरीके से हो जाएगा।


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आज शाम 5 बजे ध्यान के बाद की वार्ता का अनुवादित अंश।लाइव अनुवाद के कारण त्रुटियों के लिए क्षमा 🙏🏻🙏🏻


"आध्यात्मिक यात्रा को जल्दी पूरा होना क्यों जरूरी है ?पिंड प्रदेश पार करते ही मुक्ति महसूस होती है। सातवें बिंदु के बाद दो उप बिंदु है।1.आवेग 2.सरस्वती।

 इस दिन (बसंत पंचमी) को हम देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। यह दोनों बिंदु superimposed हैं।हम ज्ञान बिंदु पर काम करते हैं तो आवेग से दूर नहीं रह सकते,यह एक connected influence है.।जब तक पूर्ण इच्छा समाप्त नहीं करेंगे, तब तक सरस्वती बिंदु को महसूस नहीं कर सकते। बिंदु बी सभी तरह की sensual senses से संबंधित है,न कि केवल काम से।

रामकृष्ण परमहंस को खाने का अत्यधिक शौक था।शारदा देवी नाराज थी इतना ध्यान करते हो खाने के पीछे पड़ जाते हो उन्होंने कहा जिस दिन खाना बंद कर दिया सात दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह पाऊंगा।  संत को भी अपने आप को भूमि से जुड़े रहने के लिए कुछ आदतों से बंधे रहना पड़ता है। sensuality किसी भी रूप में आ सकती है। आवेग केवल काम से ही संबंधित नहीं होता यह किसी भी चीज से संबंधित हो सकता है।इसे नियंत्रित किया जाए तभी सरस्वती चक्र से दिव्य ज्ञान प्राप्त हो सकता है। 

Passion point is clouding sarasvati point"


आज सत्संग 7 बजे पश्चात की वार्ता का लाइव अनुवाद किया है।त्रुटियों के लिए क्षमा के साथ।🙏🏻🙏🏻

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