गुरुवार, 10 जून 2021

श्रीरामचन्द्र मिशन के 75 वर्ष::अशोकबिन्दु

 श्रीरामचन्द्र मिशन के 75 वर्ष!! ----------------------------------------- हमारे अंदर और जगत में कुछ तो है जो सोता है निरंतर है अनंत यात्रा का साक्षी है उसे चाहे कोई नाम दो या कोई नाम ना दो हम यह मात्रा में प्रणाहूति को बड़ा महत्व देते हैं एक राणा होती निरंतर हो रही है सूफी संतों में ए दम भरने के नाम पर थी हजरत केबला मौलवी फैज अहमद खान साहब रायपुरी के माध्यम से यह प्रक्रिया श्री रामचंद्र जी महाराज फतेहगढ़ के पास आई और फिर उन के माध्यम से शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश के बाबूजी महाराज के पास बाबूजी महाराज ने श्री रामचंद्र महाराज फतेहगढ़ की याद में श्री राम चंद्र मिशन शाहजहांपुर की स्थापना 1945 में की 75 वर्ष पूर्व 1945 में स्थापित श्री राम चंद्र मिशन शाहजहांपुर की पंजीकृत प्रक्रिया देश के कानून के अनुसार की गई इसके उद्देश्य मात्र आर्टिकल्स आफ एसोसिएशन के अनुसार इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं- (1) लोगों में आधुनिक काल की प्रस्तुतियों और आवश्यकताओं के अनुरूप योग की कला और विज्ञान की शिक्षा शिक्षा प्रदान करना और उसका प्रचार प्रसार करना (2)जाति संप्रदाय और बाण आज के भेद से रहित परस्पर प्रेम और विश्व बंधुत्व की भावना का संवर्धन करना है (3) योग के क्षेत्र में शोध करना और उस उद्देश्य से शोध संस्थाओं की स्थापना करना (4) योग में शोध को प्रोत्साहित करना तथा इस कार्य में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को सहायता प्रदान करना। श्री राम चंद्र मिशन के माध्यम से हम लगभग 200 देशों तक पहुंच चुके हैं सन 2014 ईस्वी से इसके माध्यम से हमारे वैश्विक मार्गदर्शक श्री कमलेश जी पटेल दास जी हम को तो हल में हैं एकांत में हैं हम जो चिंतन मनन अपने अन्य बा जगत के लिए कर रहे हैं उसका नेतृत्व वह कर रहे हैं वह हार्टफुलनेस माइंडफूलनेस ब्राइट माइंड आज के नाम से एवं उनके अनेक संदेशों और आचरण के माध्यम से समाज और विश्व में आ रहे हैं। हम सब चेतना के सागर की लहरें हैं हम आत्मा रूपी किरण हैं जो अनंत प्रवृतियां रखता है ऐसे में हम एकता सद्भावना विश्व बंधुत्व अद्वैत अभेद, सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर आदि जैसी स्थिति को महसूस करते हुए सनातन आचरण में लय होने की ओर प्रयत्नशील है। हम उस प्राण आहूत के गवाह हो रहे हैं जो सर्वत्र व्याप्त है पेड़ पौधों में हाड़ मांस हृदय नहीं होने के बावजूद संवेदनाएं हैं वह सर्वत्र व्याप्त संवेदना ही प्रेम है पी है राम है हमारा राम वेदों का राम है कबीर का राम है सिर्फ दशरथ पुत्र राम नहीं। श्री रामचंद्र महाराज फतेहगढ़ कहते थे कि हम ऐसी जमात चाहते हैं जिसका परस्पर रोजी रोटी और बेटी का संबंध हो हम पशु मानव से मानव और मानव से देव मानव बने यही हमारे और जगत निहित वेद स्तुति का हेतु है। कोई संस्था के उद्देश्य और उस संस्था के सदस्यों का नजरिया जब एक हो जाता है तब संस्था समाज और विश्व में अपना स्थान और सम्मान पाती है वर्तमान में हो सकता है उसके साथ भीड़ या फिर तंत्र ना खड़ा हो लेकिन इतिहास उसी का बनता है। वर्तमान में हम हैदराबाद तेलंगाना में कान्हा शांति वनम के माध्यम से उस व्यवस्था सहकारिता शांति बस तुम कम विश्व बंधुत्व वातावरण हेतु प्रेरणा देने का प्रयत्न कर रहे हैं जो वर्तमान और भविष्य में मानवता और प्रकृति संरक्षण के लिए आवश्यक है जो मानवता की इन आवश्यकता ओं को बढ़ावा देता है इसमें हमारी इच्छाएं शून्य होती हैं जिंदगी मुस्कुराती है श्री राम चंद्र मिशन शाहजहांपुर के इस वैश्विक मुख्यालय से विश्व को यह प्रेरणा मिलती है कि अब इसी तरह से नए स्थानों आवासों आश्रमों की आ सकता है।


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