रविवार, 6 जून 2021

'भूत' का भ्रम व डर में प्रेम?!....अशोकबिन्दु

 'प्रेम' से ये डर खत्म होता है।हृदय क्षेत्र पर इस भाव से ध्यान -' हमारे हृदय में दिव्य प्रकाश उपस्थित है' आंख बंद कर आवश्यक समझते हैं हम।सूफी संतों,सन्तों,ऋषियों मुनियों आदि के सन्देश,जो हमें सनातन ज्ञान की स्थिति में ले जाते हैं-उस पर चिंतन मनन आवश्यक है।हृदय का रुझान ही चेतना जगत ,सूक्ष्म से सूक्ष्म,सूक्ष्मतर से सूक्ष्मतर की ओर हमें ले जा कर 'जीवन अस्तित्व' की ओर ले जा 'डर' से मुक्त कर देता है। संवेदना का जगत सब दीवारें ढा देता है जब हम हार्टफुलनेस ध्यान के माध्यम से अंतर दिव्यता से जोड़ते हैं तो अपनी चेतना को विस्तार का समय देते हैं अवसर देते हैं यह अवसर हमें पास पड़ोस की चेतना फिर जगत की चेतना के अवसर खड़ा करता है ऐसे में हमारी अन्तरत: जगत की मुश्किलों हाड मास शरीर के कष्टों अन्य शरीरों के डर से मुक्त करता है। हमारी रात्रि 9:00 बजे की प्रार्थना हम में विश्व बंधुत्व विश्व शांति अन्य प्राणियों के सम्मान हेतु अवसर देती है ।ये प्रार्थना हाड़ मास शरीर त्याग चुके लेकिन सूक्ष्म शरीर से जीवित प्राणियों को भी शांति सम्मान का अवसर देती है ऐसे में डर का सूक्ष्म वातावरण खत्म होता है और साहसी होने की ओर बढ़ते हैं।जितना हम अपनी आत्मा के प्रकाश को अवसर देंगे, हम साहसी होने को उतना अवसर देंगे।


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