14,15 व16 अगस्त2020ई0!
विश्व शांति व विश्व कल्याण की ओर पथ....
ऐसा क्यों? खाने के लिए घर में नहीं चले विश्व शांति की बात करने?
हम कहाँ पर हैं?हमारी चेतना कहाँ पर है....
इस दुनिया का क्या?वह जिस के पीछे दौड़ रही है, वे व उनके समकक्ष ही तन्त्र में हाबी हैं, कितना निपटा ली समस्याएं?
अध्यात्म व मानवता ही सभी समस्यायों का समाधान है।
आत्मा से ही परम् आत्मा की ओर सफर है। परिवार भाव में पूरी दुनिया को देखना परम् आत्मा की ओर देखने का रास्ता है।
शेष सब तुम्हारा हमारे लिए किस काम का?
फ्रांस की क्रांति, रूस की क्रांति से हमें क्या सीख मिलती है? सबको साथ लेकर चलने से ही जगत का कल्याण है मानवता का कल्याण है विश्व शांति संभव है अन्यथा फ्रांस की क्रांति रूस की क्रांति के जो कारण थे बे कारण क्या वे अब भी मौजूद नहीं हैं?
सरकारें व दल समस्याएं निपटाने से रहे।
8वी-15 वीं शताब्दी में जो हुआ वह किस कारण हुआ?जो हुआ उसके लिए क्या विदेशी ही दोषी थे?
पूंजीवाद, पुरोहितवाद, सामन्तवाद, जन्मजात उच्चतावाद, जातिवाद, माफ़ियावाद आदि की एक हद भी है।उस हद के बाद क्या होता है?इतिहास गबाह है।
सुकून मानवता व आध्यत्म से ही सम्भव है।
आओ हम सब आध्यत्म व मानवता को स्वीकार करें।
विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम को स्वीकार करे।
विश्व शांति व विश्व कल्याण की ओर पथ....
ऐसा क्यों? खाने के लिए घर में नहीं चले विश्व शांति की बात करने?
हम कहाँ पर हैं?हमारी चेतना कहाँ पर है....
इस दुनिया का क्या?वह जिस के पीछे दौड़ रही है, वे व उनके समकक्ष ही तन्त्र में हाबी हैं, कितना निपटा ली समस्याएं?
अध्यात्म व मानवता ही सभी समस्यायों का समाधान है।
आत्मा से ही परम् आत्मा की ओर सफर है। परिवार भाव में पूरी दुनिया को देखना परम् आत्मा की ओर देखने का रास्ता है।
शेष सब तुम्हारा हमारे लिए किस काम का?
फ्रांस की क्रांति, रूस की क्रांति से हमें क्या सीख मिलती है? सबको साथ लेकर चलने से ही जगत का कल्याण है मानवता का कल्याण है विश्व शांति संभव है अन्यथा फ्रांस की क्रांति रूस की क्रांति के जो कारण थे बे कारण क्या वे अब भी मौजूद नहीं हैं?
सरकारें व दल समस्याएं निपटाने से रहे।
8वी-15 वीं शताब्दी में जो हुआ वह किस कारण हुआ?जो हुआ उसके लिए क्या विदेशी ही दोषी थे?
पूंजीवाद, पुरोहितवाद, सामन्तवाद, जन्मजात उच्चतावाद, जातिवाद, माफ़ियावाद आदि की एक हद भी है।उस हद के बाद क्या होता है?इतिहास गबाह है।
सुकून मानवता व आध्यत्म से ही सम्भव है।
आओ हम सब आध्यत्म व मानवता को स्वीकार करें।
विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम को स्वीकार करे।
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