लोगों से सुनते मिल जाता है कि-फुर्सत ही नहीं।अपने शरीर के लिए फुर्सत नहीं। बुढ़ापे पर देखा जाएगा। लगभग 30 साल के बाद ये अनुभव होने लगता है कि हमने जैसी दिनचर्या अपनायी हुई होती है, जिस अभ्यास में हम रहे होते हैं, जिस नजरिया में हम रहे होते हैं, हमने जो अपनी आदतें डाल रखी होती हैं;उसका प्रभाव हमें अपने जीवन में दिखायी देता है।
हमने जो अतीत में जाने अनजाने किया है,उसका प्रभाव तो पड़ना ही है। हम आगे ऐसा कर लेंगे, हम वैसा कर लेंगे,अभी तो पेट पालना है,ये करना है वो करना है। ये सब हमारी प्राथमिकता व नजरिया पर निर्भर है। हम जिसको वक्त देंगे वही का प्रभाव पाएंगे।
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