गुरुवार, 16 जुलाई 2020

फिजिकल डिस्टनसिंग/शारीरिक छुआछूत बनाम सनातन संस्कृति::अशोकबिन्दु


जीवन एक सफर है।इसमें हम उम्मीद नहीं रख सकते कि हर बार खिड़की से दृश्य एक सा ही या मनपसंद ही दिखे। ये वक्त है, गुजर ही जायेगा लेकिन वक्त का हर लम्हा हमारी नियति/भाग्य का जिम्मेदार है।

जब हम सिर्फ हाड़मास शरीर को लेकर ही जीवन भर लगे रहते है, तो फिर हमारी नियति कैसी बनेगी? ये तो हमारा अधूरापन है कि हम सिर्फ अपने हाड़ मास शरीर का व्यापार है। फिजिकल डिस्टनसिंग तो हमारे ऋषि परम्परा के समय से है। हमें अपनी सम्पूर्णता को समझना चाहिए।हम सिर्फ हाड़ मास शरीर नहीं हैं। हम आत्मा भी हैं। हम जीवन भर हाड़ मास शरीर की आवश्यकताओं में गुजार देते हैं। आत्मा की आवश्यकता को महसूस करना दूर, हम अपनी आत्मा को ही महसूस नहीं करते।हम आत्मा को ही जानने की कोशिस नहीं करते। हम तो यही कहेंगे कि अधिकतर सभी मांसाहारी ही हैं। किसी न किसी इन्द्रिय से कोई न कोई मांसाहार में लिप्त है।


उत्तर कांड, रामचरितमानस  में स्पस्ट लिखा केहै कि रोगों व दुख का कारण है काम।यहाँ काम से मतलब है, हाड़ मास शरीर की आवश्यकताओं में जीना।अब चाहें ये हमारे स्तर पर हो या फिर जगत स्तर पर।


विद्यार्थी जीवन में हमारा वास्ता-संस्कृति के समाजशास्त्र व धर्म का समाजशास्त्र से रहा है।जिसके अध्ययन के दौरान हमने जाना कि जीवन का हेतु है-पुरुषार्थ, शादी का उद्देश्य है-धर्म। यहां पर ये नहीं है कि हम हाड़मास शरीर के लिए ही सिर्फ  जिएं। हम यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की बात नहीं करना चाहेंगे हम बात कर रहे हैं फिजिकल डिस्टेंसिंग की गर्भधारण करने के साथ ही मनुष्य मां के शरीर ही नहीं मन मस्तिष्क से भी जो जाता है मां के शारीरिक मानसिक प्रभावों का असर गर्भावस्था में ही उस पर पड़ने लगता है 9 महीने के बाद जन्म के समय भी की परिस्थितियां उत्तरदाई होती हैं इसके बाद आगे उसके शैशव अवस्था में घर के वातावरण परवरिश का भी पड़ता है हमने देखा है की जन्म लेने के बाद बच्चे पर छुआछूत का असर पड़ता है किसी का बाहर से आना और बच्चे का स्कोर छूना एवं घर के अंदर बीमार व्यक्तियों के द्वारा उसको छूना आदि आदि इसके साथ ही हमने देखा है कि कुछ बच्चे जब खाना पीना चालू करते हैं इससे पूर्व बे ठीक होते हैं स्वस्थ होते हैं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ खाना-पीना उन पर असर डालता है छुआछूत का पारिवारिक स्तर पर भी असर पड़ सकता है या असर पड़ता है

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