बुधवार, 8 अप्रैल 2020

नए धर्म व ग्रंथ को छटपटाती इंसानियत:::अशोकबिन्दु भैया


   जहां तक निगाह जाती है-सब प्रकृति व ब्रह्म अंश है।सब सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर की स्थिति में है।सब का सब चेतना के सागर का हिस्सा है।हम सब आत्मा रूपी लहर है -चेतना रूपी सागर में ।इसे अहसास कराती है भक्ति और सन्तों की वाणियां।गुरु नानक का जीवन हमें काफी प्रेरणा देता है।'सब चुंग जा सब राम का'-भक्त में ही पूर्णता होती है।ऋषि मुनि के बाद योगी और योग, आचार्य और आचरण महत्वपूर्ण है। इसलिए किसी ने कहा है-आचार्य है-मृत्यु।योगी है-मृत्यु।योग के आठ अंगों में से पहला अंग है-यम।यम को भी  किसी ने मृत्यु कहा है। यही क्षत्रियत्व है।यही ब्राह्मणत्व है।इतना रम जाना, रमने का साक्षी हो जाना कि पता ही न चले क्या साहस है क्या भय?सिक्ख होना समर्पण है, शरणागति है।बस, जीते जाएं साक्षी हो।हर पल जागरण व अभ्यास....

भक्ति से ओतप्रोत है-'गुरु ग्रन्थ साहिब'।जिसमें सन्तों की वाणियां हैं सिर्फ।जब वह आया तो वह समय की मांग थी।उसकी प्रासंगिकता अब भी बनी हुई है।उसने हमें प्रेरणा दी है।गुरु नानक की काबा की यात्रा के साथ साथ अरस्तू व उसके शिष्य सिकन्दर के जिक्र के साथ विश्व के सभी सन्तों की वाणियों व ईसा पूर्व पांचवी-छटवीं सदी समय की वैश्विक अध्यत्मिक क्रांति को सँजोता एक ग्रन्थ भावी ग्रन्थ-विश्व सरकार ग्रन्थ साहिब' का अवतरण।इसके लिए मालिक की महान प्रेरणा चाहिए।कुछ संस्थाएं अब विश्व के अभी सन्तों/महापुरुषों की वाणियों को अपने यहां स्थान देने लगी हैं।ये सराहनीय कार्य है।इसमें विदेश में बसे भारतीयों का बड़ा योगदान होगा।
जय विश्व!जय मानवता!जय अध्यात्म!!!
#अशोकबिन्दु भैया!!
#कबीरा पुण्य सदन!!
#कटरा विधान सभा क्षेत्र!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें