रविवार, 5 अप्रैल 2020

आज के समय में महावीर स्वामी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है::: अशोकबिन्दु भैया

महावीर स्वामी जयंती!!अन्तरनमन.....
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हमें निजी जिंदगी से ही सिर्फ मतलब नहीं है!!समाज, देश व विश्व की जिंदगी व उनके बीच रह रहे कम संख्या वाले भाई बहिनों से भी मतलब है।।हर भेद भावना से भी मतलब है।।।

महत्वपूर्ण ये नहीं है कि आप नास्तिक हो या आस्तिक।
महत्वपूर्ण है-आपकी चेतना व समझ की स्तर या बिंदु पर है?हम जितना अपने अंदर जाते जायेगे- भ्रम,भेद, द्वेष, राग आदि के पर्दे छंटते जाएंगे।हमारे इंद्रियों, दिमाग की हद है लेकिन हमारे मन की नहीं।हमारे शरीर का राजा है-मन।मन का राजा है-आत्मा।आत्मा तो अनन्त प्रवृतियां रखता है। हम जितना डूबते जाएगे उतना ही जगत में भी डूबते जाएंगे।दशा ऐसी होगी जैसे-सागर में कुम्भ, कुम्भ में सागर।ढाई हजार वर्ष पूर्व पूर्व/हिन्दमहा द्वीप का सन्त पूरी दुनिया में सम्माननीय था।कुछ सन्त बाद में भी हुए है,जैसे कबीर, फरीद, नानक,रैदास आदि।गुरु नानक ने तो काबा में भी अपना निशान छोड़ दिया।शायद मोहम्मद साहब ने भी कहा है पूर्व के सन्तों का सम्मान करना।

ईसा पूर्व पांचवी- छठी शताव्दी वैश्विक अध्यत्मिक क्रांति का समय है।समय मिला तो इस पर हम अपने हिसाब से एक किताव लिखेंगे, यदि मालिक चाहेगे।जो हमारे 'विश्व सरकार ग्रन्थ साहिब' का हिस्सा होगा। अब सिक्ख/अभ्यास पन्थ को 'गुरु ग्रन्थ साहिब' के सम्मान में आगे वैश्विक स्तर पर कदम रखने की जरूरत होगी। जिसमें हर देश के सन्तों को स्थान होगा। इसकी बुनियाद कुछ आध्यत्मिक संस्थाएं शुरू कर चुकी है।ये खुशी की बात है कि इसकी भी शुरुआत भारतीयों से ही होने वाली है। कुछ संस्थाएं हर देश के सन्तों के सम्मान की ओर बढ़ी हैं।

आज महावीर स्वामी के जन्म दिन पर कहना चाहेंगे कि हमे भारतीयता का सम्मान व विविधता में एकता को दुनिया में स्थापित करने की जरूरत है। ये समय भारत व भारतीयों के लिए अति महत्वपूर्ण है। ऐसे में महावीर स्वामी की प्राथमिकता और बढ़ जाती है।



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