गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

हर देश ने सन्त दिए हैं ,उन्हीं सन्त के सहारे उन देश क्रांति ले पँहुचने की जरूरत है,बुनियाद रखी जा चुकी है।....अशोकबिन्दु भैया

शिक्षा का पहला बिंदु::उपनयन जो नजरिया से संसार की ओर नहीं गुरु की ओर!इसी बिंदु पर अभी हम टिके हैं, वैचारिक क्रांति!!आचरण क्रांति पर लोग क्यों फेल हुई है?क्योंकि वे वे इस पहले बिंदु पर मन से न थे।नजरिया से न थे।
जैसा नजरिया वैसी बरक्कत!!!
हमारा हेतु अभी उपनयन का है।वैचारिक क्रांति का है।
समाज के ठेकेदार है, विभिन्न पदों पर बैठे लोग है, जाति पर आधारित उच्चता को जीने वाले लोग हैं, चुनाव के वक्त अनेक प्रत्याशी है, चुनाव जीतने वाले अनेक जन प्रतिनिधि है, अनेक पुरोहित, मौलबी है..... लेकिन???सब फेल???जिस स्तर पर जाकर जो उपनयन जो वैचारिक क्रांति जो नजरिया क्रांति होना चाहिए .....वह नहीं है।बुद्धि, दिमाग, धन, पद, जाति, शरीर आदि से उच्च होने से जीवन नहीं बदलता..... हम आप भ्रम में हैं।।
ये जन्म शायद इस क्रांति में ही बीत जाए लेकिन ये क्रांति चलनी है।

नया पन्थ है-सिक्ख पन्थ!खालसा पंथ!!!! जीवन पथ का नया चरण.... आगे का चरण....!!?? पूरे विश्व के सन्तों को सीमेंट कर चलने वाला है।हर देश मे सन्त दिए है, उन देशों में उन्हीं के सहारे क्रांति चमकानी है।बुनियाद रखी जा चुकी है।

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