रविवार, 5 अप्रैल 2020

आदम -ए-सलाम की हम सब औलाद हैं::कैलाश चन्द्र अग्रवाल, बरेली मोड़, शाहजहाँपुर, उप्र!!

                                        06.11am!
                                         23जून 2019ई0!
                                         श्रीरामचन्द्र मिशन, शाहजहांपुर

हमें अभ्यासी कैलाश चन्द्र अग्रवाल, बरेली मोड़, शाहजहांपुर, उप्र प्रभावित करते रहे हैं।अफसोस वो अब इस दुनिया में नहीं है।उन्होंने ही हमे लखनऊ से एक अभ्यासी हैदरअली के होने का संज्ञान कराया।जिसको एक वर्ष हो गया था।

              मुस्लिम भाई बहिनों के बीच हार्टफुलनेस के साथ जाने हेतु भी वह हमें उर्दू लफ्जों के साथ अनेक सन्देश देते रहते थे।जिसमें से कुछ को यहां पर हम प्रस्तुत कर रहे है।



              आदम-ए-सलाम की हम सब औलादें हैं।
पूरी कायनात उसी की है।जब से वह यहां आया तो सृष्टि का काम चालू है।पहले जो नूर आयी,वह नूर असर हमारे अंदर भी है।

                वही से गतिशीलता है।पहुंच है।

तब्बजो या दम भरने की क्रिया सूफी सन्तों हजरत क़िब्ला मौलवी फ़ज़्ल अहमद खां साहब रायपुरी के माध्य्म से श्रीराम चन्द्र जी महाराज, फतेहगढ़ को प्राप्त हुई।

                  आदम-ए-सलाम का रास्ता हमें एक मात्र मेडिटेशन है।

                  बैलेंस टीचर बनाता है।मास्टर बनाता है।
हमारा टीचर है वर्तमान -'वर्तमान नबी'।वर्तमान जिंदा नबी का पालन आवश्यक है। डायरेक्ट ऊपर से जुड़ाव ठीक है।वर्तमान जिंदा नबी की मदद जरूरी है।

                 खुदा कहता है-हमने जैसी रूह अमानत भेजी है थी,वैसी ही हमें चाहिए।

                  ऐसे में रूह पाक थी पाक ही चाहिए।
रूह पर जो पर्दे पर्दे पड़े हैं,धूल पड़ी है।उसको टीचर या मास्टर के माध्यम से,वर्त्तमान जिंदा नबी के माध्यम से ही हटाया जा सकता है।

                 'तय कयामत तक'-फस्ट व लास्ट पैगम्बर लगा है।
आदमवक्त में जैसी रूह दी वैसी रूह नहीं हो जाती तब तक यों ही चक्कर काटते रहोगे।


                 सन 2011-12 से काल अपना काम करना शुरू कर दिया है।सूक्ष्म शक्तियां अपने अपने स्तर पर कार्य कर रही हैं।जो जैसा है उससे वैसा ही करवाया जा रहा है।मन में स्पंदन कम्पन से भाव विचार और फिर इसके बाद कर्म। चौदह सौ वर्षों के अंदर सब सन्तुलित हो जाना है।

                   कुदरत हर वक्त हम पर मेहरबान है।
हम उसके बन्दे है। लेकिन जब बन्दों से खिलबाड़ होने लगता है तब कुदरत चुप नहीं बैठती।नए नए प्रयोग करती रहती है।
एक प्रयोग हम सब रखते हैं। हमारे  वर्तमान वैश्विक मार्गदर्शक
है-कमलेश डी पटेल 'दाजी' । जिन्होंने उस प्रयोग को नाम दिया है-हार्टफुलनेस।





                  हे मालिक!
तू ही इंसानी जिंदगी का असल मकसद है.
हम अपनी ख्वाइशों के गुलाम हैं
जो हमारी तरक्की में रुकावट है.
तू ही सिर्फ खुदा एवं ताकत है
जो हमें उस मकसद तक ले चल सकता है.



 श्री कैलाश चन्द्र अग्रवाल,
गाइडेंन स्टेट, जलालाबाद रोड,
बरेली मोड़, शाहजहाँपुर,उप्र!


#heartfulness

www.heartfulness.org/education






                   


                 

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